-केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को दिए आदेश
सामना संवाददाता / मुंबई
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि एड्स पर नियंत्रण पाने के लिए देश के हर मेडिकल कॉलेज में एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी यानी एआरटी सेंटर जरूरी है। इसी तर्ज पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों को अपने मेडिकल कालेजों में एआरटी सेंटर शुरू करने का आदेश दिया है। मेडिकल कालेजों में एआरटी सेंटर शुरू होने से एड्स के मरीजों को इलाज कराने में आसानी होगी।
राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत २०३० तक सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी चुनौती के रूप में एड्स को नियंत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन इसके लिए एचआईवी मरीजों को आसान और सुविधाजनक तरीके से इलाज मिलना जरूरी है। एआरटी सेवाओं के विकेंद्रीकरण से मरीजों को गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करना आसान हो जाएगा। बता दें कि मेडिकल कालेज में एआरटी सेंटर राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम में पूरक भूमिका निभाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने हर मेडिकल कालेज में एआरटी सेंटर की सुविधा शुरू करने का आदेश दिया है। हालांकि अब तक कई कॉलेजों में एआरटी सेंटर नहीं होने से एड्स मरीजों को इलाज मुहैया कराने में दिक्कतें आ रही हैं। इसलिए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों को हर मेडिकल कालेज में एआरटी सेंटर शुरू करने का आदेश दिया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के मुताबिक, प्रत्येक मेडिकल कॉलेज को एआरटी सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव राज्य एड्स नियंत्रण संगठन को भेजना होगा। उसके बाद मेडिकल कालेज का मूल्यांकन निरीक्षण होगा।