आज धरा पर कितने रावण कैसे तुम संहार करोगे l
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे।।
सीताहरण रोज होता है कोई नहीं बचाने आता l
बिलख रही नारी के आंसू कोई नहीं छिपाने आताl
चारों ओर जल रही लंका कितना अत्याचार सहोगे।
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे l
दस आनन को रोज जला कर विजय कहां मिल पाई है l
छुपे हुए कितने रावण हैं तम की आंधी छाई हैl
चलो उठाओ आज अस्त्र कब आशा का संचार करोगे।
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे।l
घर घर में लंकेश पल रहे मंदोदरियां चुप रहती हैं
त्रिजटा का बल क्षीण हो रहा कठिन तपस्या सहती हैं
प्रश्न यही है लंकापति तुम कब तक अत्याचार करोगे
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
शबरी के फल सूख चले धीमी हो चली प्रतीक्षा l
केवट की पतवार टूटती भूल गई हर शिक्षा l
डोल रही है नाव भंवर में कैसे धारा पार करोगे l
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
तुम हो कहां ढूंढते तुमको नैन अहिल्या के सूखे
पत्थर भी अब डोल गए लहरों के आंचल भी सूखे
काट लिया बनवास हृदय ने कैसे अब धिक्कार करोगे l
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
मां के स्तन रुक्ष हुए नन्हें मुन्ने बिलखाते हैं
सहमे सहमे बिस्तर पर वे भूखे ही सो जाते हैं
नैन नीर से गाल भिगोती मां को क्या स्वीकार करोगे l
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
खेत पड़े हैं सूखे उड़ रही धूल खलिहानों में
धरती का सीना है सूखा हाहाकार किसानों में
बंजर पडी हुई धरती का अब कैसे व्यापार करोगेl
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
धूसर हुआ आसमान भी अब नीलकंठ उड़ना भूला
बच्चों के अब और शौक हैं भूल गए अपना झूला
घात लगाए शत्रु खडा है कैसे तुम संहार करोगे l
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
कुर्सी की खातिर बिकते नेता हमको भरमाते हैं
शान देश की करते धूमिल नहीं कभी शर्माते हैं
उनकी नजर बड़ी पैनी है कैसे उन्हें शिकार करोगे l
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
विश्व शान्ति का स्वप्न कहां अब
दशग्रीवों का नहीं हनन
विश्व युद्ध की आशंका से हृदय हमारा हुआ दहन
आज तुम्हारी हमें जरूरत कैसे अब उद्धार करोगे l
राम तुम्हारे तरकश सूने कैसे तीर प्रहार करोगे ll
-डॉ. कनक लता तिवारी