समय की शिला पर मधुर गीत गाओ।
इंसान हो तुम स्वयं को जगाओ ।।
खुद को सम्हालो हवा से लड़ो फिर।
उठकर अंधेरे में दीपक जलाओ।।
करो रोशनी तुम नई राह खोलो।
उसी पर चलो और चलकर दिखाओ।।
जमाना बदल दो करो प्रेम सबसे।
जितने सही हैं गले से लगाओ।।
कह दो समय से सदा साथ देना।
समय को मिला करके साथी बनाओ।।
जिंदगी के सफर में चलो प्यार लेकर।
जहां आदमी हो वहीं पर लुटाओ।।
सहयोग सेवा में संयम बनाकर।
दुनिया से हरदम मुसीबत हटाओ।।
बोलो तो ऐसे कि कुछ कह रहे हो।
भाषा में अपने मधुर भाव लाओ।।
मानव का जीवन मिला है तो समझो।
गहरी समझ को गले से लगाओ।।
वे जो तुम्हें प्यार करते हैं हरदम।
उनसे मिलो तुम जरा मुस्कुराओ ।।
वे जो गिरे हैं पड़े हैं जमीं पर।
उनको जरा जोर देकर उठाओ।।
बने देश सुंदर मुकम्मल खुशी हो।
यही मंत्र सबके दिलों में जगाओ।।
इंसानियत धर्म है जानकर तुम।
धर्मों से ऊपर इसे तुम उठाओ।।
समय की शिला पर मधुर गीत गाओ।
इंसान हो तुम स्वयं को जगाओ ।।
-अन्वेषी