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बढ़ती रेल दुर्घटनाओं का दंश … कम कर्मचारी और फंड का डायवर्जन… ले रही हैं यात्रियों की जान!

फंड की कमी से रिपेयरिंग का काम हुआ धीमा
पालघर डिरेलमेंट के बाद नीलांचल एक्सप्रेस में झुलसे लोग
सामना संवाददाता / मुंबई
हाल के दिनों में कई रेलवे दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं। कल सुबह चांडिल-मुरी रेलखंड की दुर्घटना तो आश्चर्यजनक है। रेलवे का ओवरहेड वायर ट्रेन पर गिरने से ४० यात्री झुलस गए और एक यात्री की मौत हो गई। रेलवे में ऐसी घटना पहले कभी नहीं देखी-सुनी गई। यह साफ-साफ रेलवे की रख-रखाव में कमी और लापरवाही का नतीजा है। रेलवे के अधिकारी दबे स्वर में स्वीकार करते हैं कि रेलवे मेंटेनेंस के फंड का डायवर्जन दूसरी जगह किए जाने के कारण उचित रख-रखाव नहीं हो पा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेन हादसों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
बता दें कि कल सुबह चांडिल-मुरी रेलखंड में एक दर्दनाक रेल हादसा हुआ, जिसमें ४० यात्री झुलस गए और एक यात्री की मौत हो गई है। यह घटना नीलांचल एक्सप्रेस में सुइसा और तिरलडीह के बीच घटित हुई। रेलवे के बिजली का तार ट्रेन पर गिरने से यह हादसा हुआ, जिससे ट्रेन के अंदर आग लग गई और कई यात्री झुलस गए। सभी घायलों को तुरंत अस्पताल भेजा गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। इस बारे में रेल अधिकारियों का कहना है कि इस हादसे के पीछे बिजली के तारों की खराबी हो सकती है। ओवरहेड वायर ट्रेन के ऊपर गिर गए और आग लग गई। बार-बार होनेवाले रेल हादसों की वजह से यात्रियों में भय और असंतोष का माहौल है। कल के हादसे ने रेलवे मेंटेनेंस की लापरवाही पर एक बार फिर जोर दिया है। यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि उचित रख-रखाव के बिना रेलवे ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और अन्य संबंधित इंप्रâास्ट्रक्चर समय के साथ खराब हो जाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। पालघर में हाल ही में मालगाड़ी ट्रेन के डिरेलमेंट की घटना इसी का एक उदाहरण है।
समय पर मेंटेनेंस जरूरी
फंड के डायवर्जन के कई संभावित कारण हो सकते हैं। अन्य प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देना, सरकार या रेलवे प्राधिकरण किसी अन्य बड़े प्रोजेक्ट्स या योजनाओं को प्राथमिकता दे सकते हैं, जिसके कारण मेंटेनेंस फंड में कटौती की जा सकती है। प्रशासनिक स्तर पर सही योजना और कार्यान्वयन की कमी भी एक बड़ा कारण हो सकती है। कुछ मामलों में फंड का दुरुपयोग भी एक बड़ी समस्या हो सकती है। इन सभी कारणों के चलते उचित मेंटेनेंस नहीं हो पाता, जिससे ट्रैक की स्थिति खराब हो जाती है और हादसे होते हैं। रेल हादसों को रोकने के लिए जरूरी है कि मेंटेनेंस फंड का सही समय पर उपयोग हो, जिससे ट्रैक्स और अन्य इंप्रâास्ट्रक्चर की स्थिति ठीक बनी रहे।

मेंटेनेंस का बजट एलोकेशन भी कम
रेलवे के मुताबिक २०२१-२२ में ‘इक्यूपमेंट फेलियर’ के कारण ८,७४७ दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें से २,५९२ दुर्घटनाएं ‘सिग्नलिंग इक्यूपमेंट फेलियर’ के कारण हुर्इं। यह इक्यूपमेंट फेलियर के लगभग एक तिहाई मामलों के लिए जिम्मेदार थीं। हालांकि इन दुर्घटनाओं में कोई मृत्यु नहीं हुई, लेकिन सच्चाई यह है कि यह उन समस्याओं की ओर इशारा करता है जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर सही समय पर रख-रखाव और मेंटेनेंस किया जाए तो ऐसी दुर्घटनाएं आराम से टल सकती हैं।

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