मुख्यपृष्ठनमस्ते सामना'सिर सलामत तौ पगड़ी हजार' जो भयौ वौ अच्छे कूं, भगवान कौं...

‘सिर सलामत तौ पगड़ी हजार’ जो भयौ वौ अच्छे कूं, भगवान कौं धन्नवाद!

इक गरीब जनौ ओ बानें तीस बरस तलक रात-दिना मेहनत-मजूरी करी औरु कौड़ी-कौड़ी जोरकें अपुने परिवार कूं घर बनाईबे मै सगरौ पईसा लगाय दीनों या तरियां सूं बाकौ घर बनकें त्यार है गयौ। बाके बाद अपुने परिवार के संग अपुने नये घर मै बसबे कूं पंडित सूं इक सुभ महूरत निकसबायौ। पर बा दिन सूं सिरफ दो दिना पैलें धरती हिली, घनघोर बरसा भयी औरु बाकौ घर पूरी तरियां सूं धरती में धड़ाम सूं धंस गयौ। जैसें ई गरीब आदमी कूं या बात कौ पतौ लगौ तौ अपुने नये घर मै जाइबे सूं पैलें बौ दौरौ दौरौ होरी दरवज्जे बारे ब्रजवासी की दुकान पै पॉंचकें बासूं पाच किलो पेड़ा खरीद लिये। पेड़ा लैकें आदमी बा जगै पहुंचौ जहँ भौत जने अड़ोसी-पड़ौसी, यार-दोस्त खड़े हते औरु बाके लियें चिंता व्यक्त कर रह्ये। म्हां रहबे सौं पैलेंई बानें अपुनौ घर खोय दीयौ। कछुन नें बावूँâ मनाइबे की कोसिस करी। लेकिन वौ आदमी डिब्बा मै सूं पेड़ा निकासकें सबन’कूं बांटबे लगौ औरु गीत गामते भये नाचन लगौ की `सिर सलामत तौ पगड़ी हजार, द्वारिकधीश की किरपा सूं बच गयौ परिवार’ जित्ते हू जने म्हां पै मौजूद हते, वे सब यै देखकें दात’न मै उगरिया दबान लगे।
बाकौ एक मित्र बोलौ- `पगला तौ नाँय है गयौ? टूट गयौ तेरौ नयौ बनौ मकान, जिनगी की कमाई बर्बाद है गयी तू यहाँ खुशी सौं पेड़ा बाँट रह्योए!!’
गरीब आदमी ठहाके मारत भयौ बोलौ- `आप या घटना कौ एक पच्छ ई देख रह्ये हौ या लियै दूसरौ पच्छ नाँय देख पाय रह्ये। अच्छौ भयौ घर आज ही गिर परौ। नाँय तौ दो दिना बाद गिर परौ होतो तौ का होमतो जब मैं या घर मै अपुने परिवार के संग रह रह्यो होमतो। अगर यै बा समै गिर गयौ होमतो तौ मैं, मेरी घरबारी औरु बच्चा सब मर गये होमते! तब कितनौ बड़ौ नुकसान भयौ होमतो? तौ जोऊ भयौ अच्छे के लियै भयौ।’ कैऊ दम ऐसौ होबै जब हमकूं लगै की हमने सबकछू खोय दियौ लेकिन बा समै, अगर हम मुस्किल अस्थिति की तरफ सकारात्मक दृष्टिकोण रखैं तौ हम बा स्थिति सौं शांत औरु बेहतर तरियाँ सूं निपट सवैंâ। हमेसा काऊ सी भी अस्थिति मै भगवान कूं धन्नवाद करनौ चईयें।

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