सामना संवाददाता / मुंबई
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का ढोल इस बार पूरी तरह से फट गया। पिछले दो सप्ताह से पीके विभिन्न टीवी चैनलों पर अपने ज्ञान का प्रदर्शन करते हुए बता रहे थे कि भाजपा इस बार अपने दम पर बहुमत प्राप्त कर लेगी। ऐसे में पहले से ही चर्चा होने लगी थी कि पीके बिक गए हैं। मगर अब चुनावी परिणाम आने पर साफ है कि पीके बिके तो जरूर, पर इस बार भी सटीक परिणाम के सामने टिक नहीं पाए। असल में चुनावी रणनीतिकार की बजाय जब पीके सैफोलॉजिस्ट बनकर सीटों की भविष्यवाणी करने लगे, तभी समझ में आ गया था कि वे भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में लग गए हैं। हालांकि, वे यही कह रहे थे कि उन्होंने अपनी जन सुराज पार्टी बना ली है और अब उन्होंने अपना ध्यान सिर्फ बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में ही केंद्रित कर लिया है। मगर जब वे लोकसभा चुनाव की भविष्यवाणी करने लगे, तभी समझ में आ गया कि दाल में कुछ काला है। असल में भाजपा ने गोदी मीडिया और अपने आईटी सेल को भी पूरी तरह से एक्टिव कर रखा था। वे मीडिया और सोशल मीडिया पर ऐसा माहौल बना रहे थे कि पीके जैसे बिकाऊ चुनावी रणनीतिकारों की बातें सच लग रही थीं।