अनिल तिवारी
मोदी युग में किनारे कर दी गईं राजस्थान की कद्दावर भाजपा नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने लोकसभा चुनाव में अपना स्कोर सैटल कर लिया है। मोदी ने राजस्थान में उनका कद घटाया था। उन्होंने राजस्थान में मोदी की सीटें घटवा दीं। कल मतगणना के बाद से राजनैतिक हलकों में यही चर्चा है। चर्चा है कि राजस्थान के नतीजे देखकर प्रधानमंत्री मोदी रुआंसे से हो गए थे।
यह वही राजस्थान है, जिसने पिछले दोनों लोकसभा चुनावों में भाजपा को २५ में से सभी २५ सीटें दी थीं। भरपूर समर्थन दिया था, जिसका एक कारण वसुंधरा राजे भी थीं। पर जब मोदी का अहंकार बढ़ा तो उन्होंने उसी राजस्थान की कद्दावर नेत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का ही पत्ता काटकर एक अक्षम व्यक्ति को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। वसुंधरा राजे को पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पदों से धीरे-धीरे करके हटा दिया गया। न तो उन्हें राज्य में और न ही केंद्रीय स्तर पर कोई महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। हर मौके पर उन्हें राजनैतिक रूप से अपमानित किया गया, तभी से यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे और उनकी टीम इस अपमान का स्कोर सैटल जरूर करेगी और उन्होंने किया भी वही।
यह तो सर्वविदित है कि मोदी और शाह की जोड़ी ने पिछले दस वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी में ‘गुजरात मॉडल’ को मुस्तैदी से लागू किया है। पहले चरण में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुमित्रा महाजन जैसे कई सीनियर नेताओं को ठिकाने लगाया तो दूसरे चरण में उन्होंने अपने लिए चुनौती खड़ी करने की हैसियत रखनेवाले दूसरी पीढ़ी के समकक्ष नेताओं को किनारे लगा दिया। इस कड़ी में वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमण सिंह समेत अन्य कई नेताओं का समावेश था। फिलहाल, डर के साए में जी रहे मोदी-शाह तीसरी पीढ़ी के नेताओं को निपटाने की जुगाड़ में लगे थे। उन नेताओं को जो कल को उनके लिए चुनौती बन सकते थे, परंतु वे भूल गए कि एक-दो-तीन पीढ़ियों को निपटा चुनाव नहीं जीते जा सकते हैं। अजेय नहीं बना जा सकता। कम से कम हिंदुस्थान की राजनीति में यह संभव नहीं है। केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला को निपटानेवाला ‘गुजरात मॉडल’ देश में मोदी का विजय रथ आगे नहीं बढ़ा सकता, बल्कि यह तो भाजपा का दुर्भाग्य है कि भगवान राम का नाम बेचने वाले नेता ये भूल गए कि खुद भगवान राम का अश्वमेध घोड़ा भी रोका गया था। उसे भी अपनों ने ही रोका था। उन अपनों ने जिन पर अत्याचार हुआ था। कल राजस्थान में भी भाजपा के अपनों ने ही मोदी का रथ रोका और उनकी विदाई का काउंटडाउन शुरू हो गया। नफरत-द्वेष और अहंकार की राजनीति को करारा तमाचा लग गया।