राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक दिखा असर
राजपूतों में भाजपा को लेकर बढ़ा असमंजस
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा की मोदी सरकार को कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन ने तगड़ा झटका दिया है। माना जा रहा है कि इस बार राजपूतों ने भाजपा को नकार दिया है। जाति धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा को किसानों, युवाओं और पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ राजपूतों ने भी नापसंद किया है। भाजपा से राजपूत खफा नजर आए और इसका असर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में दिखा है। यूपी में लोकसभा चुनावों में भाजपा से समाजवादी पार्टी आगे निकल चुकी है। भाजपा को ३३ सीटें मिली है तो
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर ४३ सीटें जीत ली हैं। जाहिर है कि भाजपा की हार के कारण ढूंढें जा रहे हैं। भाजपा की हार के तमाम कारण सामने आ रहे हैं। अखिलेश यादव का मुस्लिम-यादव, पिछड़ा दलित समीकरण काम कर गया। साथ में यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा को उसके कोर वोटर्स का भी वोट नहीं मिला। जिसमें सबसे खास रहे राजपूत वोटर्स। कुछ लोगों का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐन चुनावों के बीच कहा था कि भाजपा फिर आई तो योगी को मुख्यमंत्री पद से हटा देगी, ठीक उसी तरह जिस तरह मध्य प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान को हटा दिया। इस तरह राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक में भाजपा को हुए नुकसान में राजपूत वोटर्स की नाराजगी का कारण बताया जा रहा है। कुछ ऐसे ही कारणों से सोशल मीडिया में अचानक ऐसे चुटकुले और मीम्स दिखाई देने लगे हैं जिन्हें देखकर लगता है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इन चुनावों में भाजपा की हार के लिए जिम्मेदार बन गए हैं। इसमें चुनाव हारने वाली साध्वी निरंजन ज्योति और बहुत कम वोटों से जीतने वाले साक्षी महाराज के बयानों का भी सहारा लिया जा रहा है।