-कहीं केंद्र सरकार का छिपा एजेंडा तो नहीं
सामना संवाददाता / मुंबई
फेसबुक अकाउंट पर बिना इजाजत निजी जानकारी इस्तेमाल करने के मामले ने जहां बड़ा हंगामा मचा दिया है, वहीं अब केंद्र सरकार ने छात्रों की ‘शैक्षिक कुंडली’ को अपने कब्जे में लेने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) के माध्यम से छात्रों के आधार और पैन कार्ड सहित संपूर्ण शैक्षणिक जानकारी डेटा एकत्र किया जाएगा। कहा जा रहा है कि छात्रों का ‘डेटा’ इकट्ठा करने में केंद्र सरकार का ‘छिपा हुआ एजेंडा’ हो सकता है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि अगर यह ‘डेटा’ लीक हो जाता है और इसका दुरुपयोग होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के माध्यम से ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के तहत कई गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इसमें ऑनलाइन शिक्षा सहित सभी लेनदेन को ऑनलाइन करने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियां क्रियान्वित की जा रही हैं। हालांकि, ‘डिजिटल इंडिया’ के नाम पर शुरू की गई कई पहल विफल रही हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली नहीं होने के कारण इंटरनेट सेवा का उपयोग करना संभव नहीं है। इसके अलावा सभी लेन-देन ऑनलाइन करने का उद्देश्य भी विफल हो गया है। वहीं अब सवाल यह उठ रहा है कि ‘डिजिटल इंडिया’ के नाम पर छात्रों का ‘डेटा’ इकट्ठा करने से क्या फायदा होगा।
छात्रों को ‘ट्रैक’ करने की साजिश
‘एबीसी’ के जरिए पहले चरण में ग्रेजुएशन और विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सेज के दस्तावेजों को एक जगह लाया जाएगा। इसके बाद १०वीं-१२वीं और उससे आगे के छात्रों का शैक्षिक डेटा एकत्र किया जाएगा। अगर छात्र नाबालिग हैं, तो माता-पिता का नंबर लिंक हो जाएगा। इस नीति से छात्र पर शुरू से ही केंद्र सरकार की ‘नजर’ रहेगी। इसे छात्रों को ‘ट्रैक’ करने की साजिश माना जा रहा है।
छात्रों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला
इसमें छात्र ने किस वर्ष किस सब्जेक्ट में दाखिला लिया, इसके लिए वह कहां गया आदि सभी प्रकार की जानकारी केंद्र को मिल जाएगी। इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘एबीसी’ में छात्र का मोबाइल नंबर लिंक होगा और आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी संग्रहीत होंगे। इस मोबाइल नंबर पर केंद्र से संदेश और निर्देश भी प्राप्त किए जा सकेंगे, जिससे छात्रों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित होगी। केंद्र सरकार अपने एजेंडे को लागू करने के लिए छात्रों का उपयोग कर सकती है। इसलिए छात्रों की एक ही स्थान पर उपलब्ध जानकारी का दुरुपयोग होने की आशंका है।