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नहीं टिकेगी मोदी सरकार… भद्रा में भदेस!… ९ जून को अशुभ मुहूर्त में ‘तीसरी’ बार शपथ लेना ले डूबेगा… उदया तिथि में पंचक का भी विघ्न बनेगा

सामना संवाददाता / मुंबई

नरेंद्र मोदी ९ जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। ज्योतिष भेद के अनुसार, ९ जून को अशुभ मुहूर्त भी है। कुछ गणनाएं बताती हैं कि इस दिन राहु काल ५.३४ बजे शाम से ७.१८ बजे तक रहेगा। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित बताया गया है। उधर कुछ पंचांग इसे शुभ मुहूर्त भी मान रहे हैं परंतु वाराणसी से प्रकाशित रूपेश पंचांग ने ९ जून को भद्रा काल बताया है। ऐसे में यदि इस दिन नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हैं तो उनकी सरकार का टिकना मुश्किल है। रूपेश पंचांग के अनुसार, इस दिन भद्रा काल ४.२९ बजे से शुरू होगा। हालांकि, अन्य पंचांग भद्रा का स्पष्ट समय नहीं बता रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि ९ जून को मोदी ने शपथ ली तो वह वर्षभर भी नहीं टिकेगी, क्योंकि पौराणिक मान्यता है कि भद्रा काल शुभ नहीं होता है। इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। तब भी पीएम बनने को उतावले मोदी इस दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ लेनेवाले हैं।
उल्लेखनीय है कि ९ जून को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि दोपहर ३.४६ बजे तक है, इसके बाद चतुर्थी तिथि आरंभ होगी। शपथ चतुर्थी तिथि में ही ली जाएगी। इसे लेकर दावा किया जा रहा है कि इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, वृद्धि योग और अभिजीत मुहूर्त के साथ राहु काल भी है।
फिर भी यह शुभ योग है। पुनर्वसु नक्षत्र रात ८ बजे तक रहेगा। ८ जून को गंड योग बन रहा था, लिहाजा शपथ ग्रहण कार्यक्रम ९ जून को कर दिया गया, परंतु रूपेश पंचांग के अनुसार, ९ जून का दिन शपथ ग्रहण के लिए अशुभ है। इस दिन भद्रा है और मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार भद्रा काल शुभ कार्यों के लिए वर्जित है।
कलश विहीन मंदिर का उद्घाटन, हारी भाजपा
यहां यह ध्यान देनेवाली बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी तरह जिद और जल्दबाजी में अयोध्या में कलश विहीन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा बिना मुहूर्त के की थी। नतीजा यह हुआ कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें भगवान राम के कोप का भाजक बनना पड़ा। अयोध्या में करारी हार मिली और देश में वे बहुमत पाने से वंचित रह गए। मोदी अपेक्षा कर रहे थे कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का उन्हें लोकसभा चुनाव में काफी फायदा होगा, परंतु अशुभ योग में प्राण प्रतिष्ठा के चलते ही अयोध्या की जनता ने उन्हें व भाजपा को सिरे से नकार दिया। उसी अशुभ योग की शपथ ग्रहण में पुनरावृत्ति होने जा रही है।
अयोध्या में आधे-अधूरे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कर भाजपा वापस सत्ता में आने के साथ ही इतना उत्साहित हो गई थी कि ४०० पार का नारा देने लगी थी, लेकिन देश की जनता ने भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया। अंत में यह कहा जा सकता है कि जिस तरह बिना मुहूर्त और आधे-अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बावजूद भाजपा को असफलता ही मिली उसी तरह शपथ ग्रहण भी बिना शुभ मुहूर्त में होने के कारण सरकार टिक नहीं पाएगी।

शनि की ढैया बढ़ा रही मुश्किलें
नरेंद्र मोदी की कुंडली में लग्न में रुचक महापुरुष योग बन रहा है। कुंडली के दशम, तृतीय और चौथे घर का स्वामी शनि सातवें और १२वें भाव के स्वामी शुक्र के साथ विराजमान हैं, जिस पर दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी बृहस्पति की सातवीं दृष्टि है, लेकिन वर्तमान समय में वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया भी चल रही है। जिस कारण इस काल के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा शपथ लेने पर उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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