हमारे प्यार का मजाक इस कदर न उड़ाओ लोगों
अर्श से फर्श पर गिरकर के मोहब्बत की है
फसानाए लैला मजनू इस कदर न सुनाओ लोगों
अश्क़ आँखों से पी के हमने इबादत की है
जिस्मोँ जां एक हुए ना हुए अब क्या ही कहें
जिस्मोँ जा एक कर के उनकी हिफाज़त की है
कभी टूटे तो कभी बिखरे उनकी यादों में
ऐसे मर मर के हमने खुद से अदावत की है
मैंने समझा की ना समझेगा हमको ज़माना
इसलिए रूठकरके सबसे बगावत की है
ख़ुदा तू क्या ही मिलाएगा मुझे हमदम से
मैंने खुद ही मेरे तक़दीर की मरम्मत की है