मुख्यपृष्ठनए समाचारपंचनामा : शिंदे राज में मरीजों के भोजन पर लगा

पंचनामा : शिंदे राज में मरीजों के भोजन पर लगा

-स्वास्थ्य विभाग की मुहर लगाने से बढ़ी नाराजगी

-आचार संहिता के कारण रुका था प्रस्ताव

धीरेंद्र उपाध्याय

शिंदे राज में आम से लेकर खास सभी नाखुश हैं। इस सरकार की प्रदेश में चलाई जा रही गलत नीतियों से एक तरफ आम नागरिक परेशान हैं, तो दूसरी तरफ मोदी को खुश करने के लिए उनके राज्य गुजरात को लाभ पहुंचाया जाया जा रहा है। इसके तहत महाराष्ट्र में आनेवाले अधिकांश उद्योग-धंधों को गुजरात भेज दिया जा रहा है, जिससे प्रदेश को वित्तीय नुकसान के साथ ही लाखों युवाओं का रोजगार भी छिन गया है। इन सबके बीच अब शिंदे राज में अस्पतालों में मरीजों को दिए जानेवाले भोजन पर भी पांच प्रतिशत जीएसटी लगा दिया गया है। आचार संहिता के कारण रुके इस प्रस्ताव पर हाल ही स्वास्थ्य विभाग ने मुहर लगा दी है। ऐसे में भले ही मरीजों को अस्पतालों में मिलने वाला भोजन व पौष्टिक आहार उन्हें निशुल्क दिया जाता है, लेकिन इसका भुगतान सरकार जनता से वसूले जानेवाले टैक्स के पैसों से करती है।
उल्लेखनीय है कि ट्रिपल इंजिन सरकार के शासन में महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के नाम पर जमकर लूटपाट चल रही है। विपक्षी नेता इस तरह के कई घोटालों के मामलों को उजागर कर चुके हैं। इसी बीच अब शिंदे सरकार मरीजों को नहीं बख्श रही है। इसके तहत अस्पताल में भर्ती होनेवाले मरीजों के लिए भले ही सरकार की तरफ से नि:शुल्क भोजन मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन उन्हें दिए जानेवाले पौष्टिक आहार पर भी पांच फीसदी जीएसटी लगाया जा रहा है, जिसका भुगतान बाकायदा शिंदे सरकार करेगी। इसी क्रम में हाल ही में प्रदेश में नवनिर्मित १९ अस्पतालों में पौष्टिक आहार मुहैया कराने के लिए लाखों रुपए की प्रशासनिक मंजूरी देते हुए स्वास्थ्य विभाग ने बाकायदा शासनादेश भी जारी कर दिया है, जिस पर बाकायदा जीएसटी लागू किया गया है।
इन अस्पतालों का है समावेश
राज्य में पालघर, सातारा, सास्तुर, नलदुर्घ, लोहगांव, लोनावला, पोहरादेवी, महागांव, तलेगांव, शहाजनी, शिरूर के अनंतपाल, मालेगांव, अर्धापुर, ताला, दलवट, तलेघर, मलठण और भिगवण में नए अस्पतालों का निर्माण किया गया है। इसमें एक जिला अस्पताल, दो महिला अस्पताल, तीन उप जिला अस्पताल और १२ ग्रामीण अस्पतालों का समावेश है। इन अस्पतालों में शिंदे सरकार मरीजों को मुफ्त में भोजन समेत पौष्टिक आहार मुहैया कराने जा रही है।
एक दिन का मरीजों के खाने पर सरकार अदा करेगी इतनी राशि
नवनिर्मित सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दिए जानेवाले भोजन पर कुल ९६.३६ लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। इसे लेकर बाकायदा शासनादेश जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि जिला और महिला अस्पतालों में प्रति मरीज दिनभर दिए जानेवाले पौष्टिक आहार की कीमत १४० रुपए, जबकि उप जिला और ग्रामीण अस्पतालों में यह १४४ रुपए तय की गई है। इस पर पांच फीसदी जीएसटी भी लगाए जाने का उल्लेख किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मरीजों को दिए जानेवाले पौष्टिक आहारों पर अभी तक किसी तरह का जीएसटी नहीं लगाया जाता है।
पौष्टिक आहारों में इन्हें किया गया है शामिल
दूध, फल, मूंग दाल, कंद की सब्जियां, सूप, हरी सब्जियां, चाय, ब्रेड, पोहा, सूजी, उसल, अंडा, रोटी, चावल, दाल, सलाद आदि को शामिल किया गया है। इन्हें समयानुसार दिया जाएगा। राज्य सरकार के जारी शासनादेश में साफ उल्लेख किया गया है कि प्रत्येक मरीज को कम से कम ३०० व ज्यादा से ज्यादा ६०० मिली दूध दिया जाए। साथ ही मरीज बच्चों के लिए डाइटीशियन की सलाह से पौष्टिक आहार दिए जाएं। मधुमेह रोगियों को मोसंबी और बच्चों को एक फल दिया जाना चाहिए।
हर तीन महीने में इनके स्वास्थ्य की हो जांच
स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव की तरफ से कहा गया है कि हर तीन महीने में नियुक्त किए जानेवाले ठेकेदारों के कर्मचारियों के स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही वॉर्ड इंचार्ज की देखरेख में बेड टू बेड मरीजों को आहार पहुंचाने की शर्त रखी गई है और डायटीशियन को पौष्टिक आहारों की गुणवत्ता जांचते रहने का निर्देश भी दिया गया है। इसके लिए हर महीने कच्चे माल की जांच स्वास्थ्य विभाग के लैबों में होनी चाहिए।
केंद्र ने कहा है मरीजों के खाने पर नहीं चुकाना होगा जीएसटी
केंद्र सरकार ने पहले ही कहा है कि अस्पतालों में भर्ती रोगियों को दिए जानेवाले भोजन पर किसी तरह का जीएसटी नहीं लगेगा। कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती रोगियों को परोसे जाने वाले भोजन पर अलग से कोई टैक्स नहीं लगेगा, क्योंकि वे हेल्थकेयर सेवाओं का ही हिस्सा है। जीएसटी कानून के तहत हेल्थकेयर सेवाओं की परिभाषा में बीमारी, चोट, असामान्यता या गर्भावस्था आदि के दौरान देखभाल, उपचार व निदान आते हैं। एफएक्यू में कहा गया है कि डॉक्टर की फीस, रिटेंशन मनी पर किसी तरह का जीएसटी नहीं चुकाना होगा।
सुधाकर बलीराम जुकर, पनवेल 
बदलाव के बाद इतना टैक्स
मरीज को डॉक्टर के दिशा-निर्देश में दिए जाने वाले खाने पर ५ फीसदी टैक्स था, जो अब शून्य कर दिया गया है। अटेंडर को जो खाना परोसा जाता है उस पर पहले भी ५ फीसदी टैक्स था, जो आज तक यथावत है। विजिटिंग डॉक्टर पूरी फीस रखता है तो टैक्स नहीं, लेकिन अस्पताल कमीशन लेता है तो उस राशि पर १८ फीसदी लगेगा। अस्पताल की कंसल्टेंट सेवाओं पर १८ फीसदी टैक्स था, जिसे घटाकर जीरो फीसदी कर दिया है।
दिलीप भोर, कोलीवाड़ा, ठाणे
आम लोगों की जेबों पर सीधा असर
अस्पतालों में चावल, दाल, रोटी, दूध से लेकर तमाम पौष्टिक आहार की आपूर्ति करनेवाले ठेकेदारों को प्रति मरीज रोज पांच फीसदी के हिसाब से जीएसटी का भुगतान करना होगा। इसका सीधा असर आम लोगों की जेबों पर ही पड़ेगा, क्योंकि सरकार की तरफ से ही ठेकेदार कंपनी को पैसों का भुगतान किया जाएगा, जो आम जनता के टैक्स से मिलनेवाला पैसा होगा।
आनंद जयसिंह झेंडे, आनंदनगर, ठाणे

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