मुख्यपृष्ठटॉप समाचारमोदी के शपथ लेते ही शुरू हुआ गरीबों का नुकसान...धड़ाधड़-धड़ाधड़!

मोदी के शपथ लेते ही शुरू हुआ गरीबों का नुकसान…धड़ाधड़-धड़ाधड़!

इंडिया की सरकार बनती तो ५ करोड़ के करीब अति गरीबों को मिलते एक लाख रुपए सालाना

-परिवार की एक महिला सदस्य के बैंक खाते में सीधे जाते प्रतिमाह `८,५००

-आंध्र वासी और बिहारियों में नीतिश-नायडू के खिलाफ भारी रोष

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद और गोपनीयता की शपथ ले ली, जिसके बाद देश के कुछ लोगों में हर्ष का माहौल था, परंतु अधिकांश जनता को इसमें अपने जनादेश का अपमान प्रतीत हुआ। खासकर, आंध्र प्रदेश और बिहार की जनता ने इसके प्रति नाराजगी व्यक्त की, क्योंकि एनडीए की इस सरकार के गठन के साथ ही देश के ३०-३२ करोड़ परिवारों में से अति गरीब ४ से ५ करोड़ परिवार की आर्थिक मदद वंचित हो गई। यदि केंद्र में ‘इंडिया’ की सरकार बनती तो ४ से ५ करोड़ परिवारों को सालाना एक लाख रुपए की नकद मदद मिलती, परिवार की कम से कम एक महिला को प्रतिमाह ८,५०० रुपए मिलते। गरीब परिवार की सरकारी गारंटी के तहत नौकरी मिलती व इसी के साथ ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के घोषणा पत्रों के अनुसार तमाम अन्य सुविधाएं मिलती, जो भाजपा के घोषणा पत्र में नहीं है।
कल चंद्राबाबू नायडू और नीतिश कुमार के कुल २८ सांसदों की बदौलत नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। इससे सबसे ज्यादा गुस्सा आंध्रवासियों और बिहारियों में ही है, क्योंकि ये दोनों प्रदेश देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में अपेक्षाकृत कमजोर आर्थिक व्यवस्था वाले हैं। बिहार पिछड़े राज्यों की गिनती में आता है तो आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद से वहां की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए इन प्रदेशों की जनता चाहती थी कि ये दोनों दल ‘इंडिया’ के साथ आकर सरकार बनाएं, ताकि गरीबों का भला हो परंतु चंद्राबाबू और नीतिश बाबू ने ऐसा नहीं किया और ४ से ५ करोड़ परिवारों को गरीबी में संघर्ष करने को छोड़ दिया।
देश की ११.२८ प्रतिशत जनता है अति गरीब

नीति आयोग की इसी वर्ष जनवरी में जारी रिपोर्ट के अनुसार, अब भी देश की ११.२८ प्रतिशत जनता अति गरीब है। नीति आयोग का तो दावा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के २४.८२ प्रतिशत अति गरीबों को इस श्रेणी से बाहर निकाल लिया है, तब भी देश में ११.२८ करोड़ अति गरीब हैं। इस लिहाज से देश में ४ से ५ करोड़ गरीब परिवार अब भी मौजूद हैं।
नीति अयोग के आंकड़ों से देश की विपक्षी पार्टियां इत्तेफाक नहीं रखतीं और उनका तर्क है कि देश की एक तिहाई जनता नरेंद्र मोदी के शासनकाल में अति गरीबों की श्रेणी में धकेल दी गई है। बेरोजगारी और महंगाई ने गरीबों को अति गरीब बना डाला है। इस लिहाज से देश में १० से १२ करोड़ अति गरीब परिवार हैं। यदि ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनती तो इन १० से १२ करोड़ परिवारों को आर्थिक संबल मिलता, प्रतिवर्ष १ लाख रुपए की नकद राशि मिलती, जो नीतिश-नायडू की वजह से फिलहाल तो नहीं मिल सकती। जिसका खामियाजा इन दोनों पार्टियों को भुगतना पड़ेगा, यह तय है।
इस संबंध में बिहारी आलोक ठाकुर का कहना है, ‘देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छा सबक सिखाया, लेकिन नीतिश कुमार ने भाजपा को समर्थन देकर बिहार की गरीब जनता का नुकसान कर दिया। यदि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनते तो गरीबों का भला होता। नीतिश कुमार को बिहार की जनता कभी माफ नहीं करेगी।’ इसी तर्ज पर बिहारी अमरेंद्र झा कहते हैं, ‘हिंदुस्थान की जनता ने मोदी सरकार के खिलाफ पैâसला दिया था। ‘इंडिया’ गठबंधन को सरकार बनाना चाहिए था। नीतिश को ‘इंडिया’ को सपोर्ट करना चाहिए था। लेकिन उन्होंने भाजपा को समर्थन देकर हिंदुस्थान के गरीबों को नुकसान पहुंचाया है। यदि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनते तो बिहार सहित पूरे देश के गरीबों का भला होता। बिहार की जनता नीतिश कुमार को कभी माफ नहीं करेगी।’ नायडू के पैâसले के बारे में आंध्र के रहनेवाले सी.पी. सुब्रह्मण्यम कहते हैं, ‘आंध्र की जनता ने चंद्राबाबू नायडू को अपना मानकर मत दिया था, लेकिन नायडू ने भाजपा को समर्थन देकर आंध्र प्रदेश की जनता का दिल तोड़ दिया। इसका खामियाजा आगामी चुनाव में नायडू को उठाना पड़ेगा।’ इसी तरह आंध्र के बी.टी. रेड्डी का कहना है कि आंध्र प्रदेश की जनता को विकास चाहिए, जो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं दे सकते। आंध्र की जनता को राहुल गांधी जैसा पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री चाहिए न कि मोदी जैसा अनपढ़। आंध्र की जनता नायडू से बेहद नाराज है।

विधानसभा चुनाव में बिहारी करेंगे नीतिश कुमार का बायकॉट!

केंद्र में एनडीए की जनविरोधी सरकार बनाने में जिस तरह से पलटू चाचा नीतिश बाबू ने मदद की है और इसके लिए जिस तरह से उन्होंने बिहार की अस्मिता को दांव पर लगा दिया है, उससे मुंबई के बिहारी खासे नाराज हैं और उन्हें विश्वास है कि अगले वर्ष होनेवाले बिहार विधानसभा के चुनाव में बिहार की जनता उन्हें निश्चित ही सबक सिखाएगी। उनका चुनावों में बायकॉट करेगी।
बता दें कि जब से एनडीए सरकार स्थापना की कवायद शुरू है, तब से बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार एकदम नतमस्तक नजर आ रहे हैं। ‘इंडिया’ को सरकार गठन से दूर रखने की वजह से वे पहले ही गरीब परिवारों का भारी आर्थिक नुकसान कर चुके हैं, उस पर जिस तरह से वे अपने हमउम्र, नरेंद्र मोदी के बार-बार पैर पड़ने को उतारु नजर आ रहे हैं, उससे बिहारियों में भारी रोष है। वे इसे बिहार की अस्मिता का अपमान बता रहे हैं। उनका तर्क है कि मोदी से नीतिश मात्र ५ माह छोटे हैं। मोदी १७ सितंबर १९५० को पैदा हुए हैं, जबकि नीतिश १ मार्च १९५१ को। ऐसे में बार-बार उनके पैर पड़ने का क्या औचित्य है। वे एनडीए में शामिल होने के समय भी मोदी के पैर पड़े थे, फिर कल एनडीए की बैठक में भी पड़े। जबकि होना तो यह चाहिए था कि मोदी को नीतिश कुमार को सिर-माथे पर बैठाना चाहिए था, जिनकी वजह से न केवल उनकी सरकार बन रही है, बल्कि वे जेल जाने से भी बच रहे हैं। ऐसे मोदी के पैर छूना, जिन्होंने दस वर्षों तक गरीबों को लूटा, उन्हें जीने के काबिल नहीं छोड़ा, अनर्गल बयान दिए, नफरत बढ़ाई, झूठ बोला, साजिशें की, संविधान की हत्या की, नोटबंदी और अग्निवीर जैसे जन विरोधी पैâसले लागू किए। जीएसटी जैसे पैâसलों से लोगों के मुंह का निवाला छीना, उनके पैर छूना न केवल उनका बल्कि यह संपूर्ण बिहार का अपमान है। यह पूरे बिहार का अपमान इसलिए भी है, क्योंकि नीतिश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। यदि उन्होंने अपने पैâसले पर पुनर्विचार नहीं किया और मोदी के समक्ष नतमस्तक होने से बाज नहीं आए तो अगले वर्ष होनेवाले विधानसभा चुनाव में बिहारी उनका बायकॉट करेंगे। उन्हें उनकी जमीन दिखा देंगे। इस बारे में बोइसर में रहनेवाले बिहारी रमन चौधरी का कहना है कि नीतिश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ महीनों ही छोटे हैं, लेकिन जब देखो वे नरेंद्र मोदी पैरों में झुक जाते हैं। यह बिहारियों का अपमान हैं। अगले चुनाव में हम नीतिश कुमार का बायकॉट करके उन्हें सबक सिखाएंगे। इसी तरह, नालासोपारा में रहनेवाले प्रिंस झा का कहना है कि नीतिश कुमार को बिहार की जनता ने बिहार का लीडर समझकर अपना मत दिया, लेकिन जब देखो वे प्रधानमंत्री के सामने झुक जाते हैं, जो कि बिहारियों को छोटा महसूस कराता हैं। अब आगे से ऐसा नहीं होगा क्योंकि हम अब नीतिश कुमार का बायकॉट करेंगे और अगली बार उन्हें बिहार की कुर्सी पर नहीं बैठने देंगे। कांदिवली में रहनेवाली रूबी ठाकुर कहती हैं कि हमने भी नीतिश कुमार को वोट दिया था, लेकिन नीतिश कुमार प्रधानमंत्री के आगे नतमस्तक हो जाते हैं। यह बिहारियों का अपमान है। रूबी ने भी नीतिश का बायकॉट करने की बात दोहराई।

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