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कलसूबाई और रतनगढ़ में छिपकलियों की दो नई प्रजातियों की खोज!

-ठाकरे वर्ल्ड लाइफ फाउंडेशन की बड़ी उपलब्धि

सामना संवाददाता / मुुंबई

महाराष्ट्र में अत्यंत ऊंचाई पर बने कलसूबाई और रतनगढ़ किले पर गोल और बड़े जबड़ेवाली देशी छिपकलियों की दो नई प्रजातियों का शोध शिवाजी विश्वविद्यालय और ठाकरे वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन के शोधकर्ता ने सफलता पाई है। दोनों प्रजातियां शिखर के टीले पर बेसाल्ट पत्थरों के बीच पाई गईं। शोधकर्ताओं में ठाकरे वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन के तेजस ठाकरे, अक्षय खांडेकर, ईशान अग्रवाल, सत्यपाल गंगमाले और सौरभ किनिंगे सहित शिवाजी विश्वविद्यालय के अन्य शोधकर्ताओं का सहयोग था। यह शोध शिवाजी विश्वविद्यालय प्राणी शास्त्र की ओर से पीएचडी करनेवाले शोधकर्ताओं के लिए था इसलिए डॉ. सुनील गायकवाड़ के नेतृत्व में शोधकर्ता शोध में जुटे थे। कलसूबाई शिखर जैव विविधता से भरा हुआ है।
महाराष्ट्र के सबसे ऊंचे शिखर पर छिपकली की नई प्रजातियों की खोज करना हमारे लिए बहुत ही आनंदायक है। कलसूबाई शिखर, रतनगढ़ और अलंग किला जैसे स्थानों पर महाराष्ट्र का इतिहास अत्यंत महत्व रखता है। रतनगढ़ और अलंग शिखर के चोटी पर बने किलों ने ऐतिहासिक समय में कइयों को आश्रय दिया है। नई छिपकलियों के लिए शिखर का स्थान ऐसे ही आश्रयदायी रहा है। नई छिपकलियों की खोज से कलसूबाई रतनगढ़ व अलंग शिखर जैसे ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण परिसर जैविक विविधता की विशेषता से परिपूर्ण है। यह कहना है शोधकर्ता टीम में शामिल अक्षय खांडेकर का। नगर जिले के रतनगढ़ किले पर खोजी गई नई छिपकली का नाम बेसाल्ट पत्थरों पर आधारित निमास्पीस बेसाल्टीकोला रखा गया है। कलसूबाई शिखर पर खोजी गई छिपकली का नाम उसके ढलान क्षेत्रों पर आधारित ‘निमास्पीस कलसूबाईन्सीस’ प्रजाति कलसूबाई शिखर और उससे सटी पर्वत शृंखलाओं पर मौजूद अलंग किले में मिली है। यह प्रजाति हिंदुस्थानी द्वीप समूह में निमास्पीस छोर की प्रजाति मानी जाएगी।

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