कविता श्रीवास्तव
उत्तरप्रदेश इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में है क्योंकि आम चुनावों में सिद्ध हुआ कि भाजपा वहां `वीक’ यानी कमजोर हो गई है। अन्य दलों को `हाफ’ करने के चक्कर में भाजपा उत्तर प्रदेश में खुद ही `हाफ’ हो गई है। वह पहले के मुकाबले इस बार आधी सीटें भी नहीं जीत पाई। इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फजीहत समझ में आती है। ऊपर से तमाम परीक्षाओं में पेपर `लीक’ होने से उनकी परेशानी और भी बढ़ गई है। इन झटकों से वहां की डबल इंजन सरकार की रफ्तार ही गड़बड़ा गई है। अब साल्वर गैंग/पेपर लीक पर रोक लगाने के लिए वहां नया कानून बनाने की स्वयं योगी ने घोषणा की है। उन्होंने अफसरों की बैठक भी ली यानी उन्होंने माना है कि ढिलाई है इसलिए पेपर लीक हो रहे हैं। पिछले कुछ अर्से से यूपी से एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाएं सुनने को मिली हैं। सबसे पहले पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक चर्चा में आया। उसके बाद समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी भर्ती का पेपर लीक होने का आरोप लगा। आगरा में इंटरमीडिएट, गणित और जीव विज्ञान का पेपर लीक हुआ। अब नीट परीक्षा के परिणाम आने पर विवाद उठा है। इन घटनाओं ने लाखों छात्रों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा १७ और १८ फरवरी २०२४ को हुई थी। पेपर लीक होने पर परीक्षा को निरस्त कर दिया गया। भर्ती परीक्षा में ४८ लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे, जिनमें १६ लाख महिलाएं थीं। इन सबका भविष्य अधर में लटका हुआ है। इन परीक्षाओं के पेपर लीक होने से प्रदेश की डबल इंजन सरकार की प्रशासनिक पकड़ में ढिलाई साफ नजर आती है। पेपर लीक करने वालों में पकड़े जाने का भय भी कम नजर आता है। हालांकि, इन घटनाओं के बाद धरपकड़ की कार्रवाइयां जरूर हुई हैं। जांच जारी है। लेकिन पेपर लीक की घटनाएं बंद होने की अभी भी कोई गारंटी नहीं है। मजबूरन योगी सरकार को सख्त कानून बनाने का फैसला करना पड़ा। इसकी जानकारी उन्होंने खुद ही सोशल मीडिया पर दी है। इसका मतलब है कि यूपी में धड़ल्ले से पेपर लीक हो रहे हैं। यह उत्तर प्रदेश की साख को भी कमजोर करता है। लोगों में शक को बढ़ाता है। कामकाज में पारदर्शिता के दावों को खोखला सिद्ध करता है। ये मामले भर्तियों और परीक्षाओं में भ्रष्टाचार हो रहे हैं इसे प्रमाणित करते हैं। इसकी समय रहते रोकथाम नहीं की गई तो हजारों-लाखों युवाओं का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा? देश के सबसे बड़े सूबे में ऐसा होना चिंताजनक है। खुद प्रधानमंत्री इसी प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपराधियों पर मजबूत बुलडोजर चलाने के लिए योगी प्रसिद्ध हैं। फिर क्यों उनकी नाक के नीचे यूपी में पेपर लीक हो रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि सचमुच में वे राजनीतिक स्तर पर `वीक’ हो रहे हैं?