धीरेंद्र उपाध्याय
गर्भावस्था के दौरान टीबी से पीड़ित एक २५ वर्षीया महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया है। झायनोव्हा शाल्बी अस्पताल में महिला की सफलतापूर्वक डिलिवरी कराई गई। बच्चे का वजन २.२ किलोग्राम है। डिलिवरी के बाद मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। महिला की हालत में सुधार है और उसे घर से छुट्टी दे दी गई है।
सलोनी मुरुदकर नामक महिला को ३४ सप्ताह की गर्भावस्था के बाद उसे सांस लेने में तकलीफ, गंभीर खांसी और थकान महसूस होने लगी। चिकित्सीय परीक्षण के दौरान महिला को क्षय रोग होने का पता चला। इस स्थिति में डिलिवरी बहुत मुश्किल होती है। क्षय रोग एक संक्रामक रोग है और मां का नवजात शिशु को क्षयरोग होने का खतरा रहता है। हालांकि, डॉक्टर ने इस चुनौती को स्वीकार किया और महिला की सफलतापूर्वक डिलिवरी कराई। इस प्रसव के बाद बच्चा स्वस्थ है और उसे टीबी का संक्रमण नहीं हुआ है।
झायनोव्हा अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. श्वेता लालगुड़ी ने कहा कि गर्भावस्था के आठवें महीने में इस महिला को सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। छाती के एक्स-रे के बाद महिला को टीबी होने का पता चला। यह एक संक्रामक जीवाणु संक्रमण है, जिसमें फेफड़े शामिल होते हैं और शरीर के अन्य भागों में पैâल सकते हैं। भारत में गर्भवती महिलाओं में टीबी की व्यापकता २१ प्रतिशत है और गर्भवती महिलाओं में टीबी की मात्रा प्रति १,००० महिलाओं में २.३ है। गर्भावस्था के दौरान टीबी से महिला को एनीमिया, समय से पहले प्रसव, प्रसव पूर्व रक्तस्राव (पीपीएच), जन्म के समय कम वजन और प्रसवपूर्व मृत्यु का खतरा रहता है। छाती के एक्स-रे रिपोर्ट के तुरंत बाद एंटी-टीबी दवा शुरू कर दी गई। इस महिला को समय से पहले प्रसव पीड़ा हुई इसलिए महिला की सिजेरियन द्वारा प्रसव किया गया। प्रसव के बाद महिला और बच्चा दोनों भी ठीक हैं।
डॉ. लालगुड़ी ने कहा कि सर्जरी करीब १८ घंटे तक चली। मरीज ने २.२ किलोग्राम वजन वाले एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्चे को गहन चिकित्सा इकाई में डॉक्टरों की देख-रेख में रखा गया। ऑपरेशन के बाद हाई-रिजॉल्यूशन कंप्यूटेड टोमोग्राफी (एचआरसीटी) की गई। इस परीक्षण में मां के टीबी के लक्षण नियंत्रण में थे। गर्भावस्था के दौरान तपेदिक होने पर समय पर उपचार बहुत महत्वपूर्ण है। समय पर निदान न होने पर मां या बच्चे की मृत्यु की संभावना रहती है। बच्चा अब ठीक है। स्तनपान कराते समय हमेशा एक विशेष मास्क पहनने, समय पर दवाएं लेने और तेजी से ठीक होने के लिए संतुलित आहार लेने की सलाह दी जाती है।
मरीज सलोनी मुरुडकर ने कहा, ‘जब मुझे पता चला कि गर्भावस्था के दौरान मुझे टीबी हो गई है तो मैं बहुत डर गई थी, क्योंकि यह स्थिति हमारे बच्चे को नुकसान पहुंच सकती थी। टीबी के कारण गर्भावस्था में कई जटिलताएं पैदा हुईं, लेकिन झायनोव्हा अस्पताल के डॉक्टरों ने समय पर इलाज शुरू कर दिया। उसके बाद मेरी समय से पहले डिलिवरी करके मेरे बच्चे की जान बच गई। मेरा बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित पैदा हुआ। मुझे और मेरे बच्चे को नया जीवन देने के लिए मैं डॉक्टरों की आभारी हूं।’