-जनाधार ने भी छोड़ा साथ, वीआईपी सीटों का भी बुरा हाल
सामना संवाददाता / लखनऊ
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जिस करारी हार का सामना करना पड़ा है, उससे पार्टी अब तक उबर नहीं पा रही है। प्रदेश में सिर्फ बीजेपी की सीटें ही कम नहीं हुईं, बल्कि वोट प्रतिशत में भी खासी गिरावट आई है। वीआईपी सीटों पर भी पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जो बीजेपी के लिए डबल झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की सभी ८० सीटों को जीतने का दम भरने वाली बीजेपी ३३ सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यूपी से ही लगा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो साल २०१९ के मुकाबले २०२४ में बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी काफी गिरावट आई है। बीजेपी इन सीटों को जीत तो गई लेकिन पिछली बार की तरह उसे भर-भर कर वोट नहीं मिल पाया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछली बार जितने वोट मिले थे वो भी नहीं मिल पाए।
बीजेपी का जिन सीटों पर वोट गिरा उनमें प्रदेश की वाराणसी, अयोध्या, अमेठी, रायबरेली और लखनऊ जैसी वीआईपी सीटें भी शामिल हैं। बीजेपी के वोटों में सबसे ज्यादा मथुरा सीटों पर झटका लगा है, जहां से हेमा मालिनी तीसरी बार सांसद चुनी गई हैं।
वोट में आई गिरावट
वाराणसी लोकसभा सीट पर पिछली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को २०१९ में ६,७४,६६४ वोट मिले, जो इस बार घटकर ६,१२,९७० हो गए। इस सीट पर ६१,६९४ कम वोट बीजेपी को मिले। यही हाल मथुरा, गोरखपुर, अमेठी, इलाहाबाद, गाजियाबाद, सुल्तानपुर, मेरठ, पैâजाबाद का भी रहा। लखनऊ सीट पर राजनाथ सिंह को पिछली बार ६,३३,०२६ वोट मिले थे इस बार ६,१२,७०९ वोट मिले। इस सीट पर बीजेपी के २०,३१७ वोट कम हुए।