मुख्यपृष्ठनए समाचारमनमानी पर उतरी मनपा...नहीं दे रही बढ़ा हुआ मानधन!

मनमानी पर उतरी मनपा…नहीं दे रही बढ़ा हुआ मानधन!

-नाराज हुईं आरोग्य और आशा सेविकाएं  

-लंबित मांगें पूरी न होने पर काम बंद आंदोलन की दी चेतावनी

सामना संवाददाता / मुंबई

लोकसभा चुनाव से लेकर मतगणना तक की सभी प्रक्रियाएं चार जून तक पूरी हो चुकी हैं। ऐसे में मनपा में कार्यरत स्वास्थ्य सेविकाओं और आशा कार्यकर्ताओं को लग रहा था कि अब मनपा न केवल उनकी प्रलंबित मांगों को पूरा करेगी, बल्कि राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश के तहत मनपा उनके मानधन में पांच हजार की बढ़ोतरी करेगी। हालांकि, चुनावी प्रक्रियाएं समाप्त होने के बाद भी मनपा मानधन में बढ़ोतरी को मानने के लिए तैयार नहीं है। इसी के चलते प्रशासन की ओर से लगातार अनदेखी की जा रही है। इससे नाराज आरोग्य सेविकाओं और आशा कार्यकर्ताओं ने मांगें पूरी न होने पर कामबंद आंदोलन की चेतावनी दी है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला  
संगठन के अध्यक्ष एड. प्रकाश देवदास ने कहा कि न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बावजूद साल २०१५ के बाद से न्यूनतम वेतन लागू नहीं किया गया है। इसके साथ ही भविष्य निधि और पेंशन अधिनियम लागू करने का आदेश कोर्ट ने दिया हुआ है, इसे भी मनपा ने दरकिनार कर दिया है। इतना ही नहीं हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ मनपा अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है।
नाम बड़ा और काम छोटा
एड. देवदास ने कहा कि आरोग्य सेविकाओं को हर महीने १२,००० रुपए मानधन मिलता है, जबकि नए शासनादेश के मुताबिक, उनका वेतन १८,००० रुपए किया जाना चाहिए था। इसी तरह आशा सेविकाओं को केवल १,६५० रुपए ही मानधन दिया जा रहा है, जबकि उनके मानधन में पांच हजार रुपए की बढ़ोतरी का आदेश राज्य सरकार ने दिया हुआ है। उन्होंने कहा कि मुंबई मनपा का केवल नाम ही बड़ा है, लेकिन उसके काम बहुत छोटे स्तर के हैं।
ये हैं मांगें
न्यायालय के आदेशानुसार २०१५ से न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाए। भविष्य निधि व पेंशन को लेकर न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का क्रियान्वयन किया जाए। स्वास्थ्य कर्मियों को मातृत्व अधिनियम का लाभ दिया जाए। संगठन के साथ जब तक किसी अतिरिक्त कार्य के संबंध में कोई समझौता नहीं हो जाता, तब तक काम के लिए बाध्य नहीं किया जाए। वर्ष २०१६ से नियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों को छह माह की सेवा शर्त समाप्त की जाए। अतिरिक्त कार्य के लिए न्यूनतम वेतन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अधिक भत्ता अर्थात दोगुना पारिश्रमिक का भुगतान किया जाए। सेवा कार्य करने में असमर्थ स्वास्थ्य कर्मियों को वह काम न दिया जाए। समूह बीमा योजना को लागू किया जाए या वार्षिक बीमा प्रीमियम १५,००० रुपए किया जाए। इसके साथ ही आशा सेविकाओं ने भी मांग की है कि उन्हें हर महीने एक से १० तारीख के बीच में छह हजार रुपए वेतन दिया जाए। आरोग्य सेविकाओं के रिक्त स्थानों पर उन्हें समाहित किया जाए।

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