-६ से ८ महीने में बढ़ सकता है भाजपा का कुनबा
नरेंद्र मोदी की मंशा ज्यादा दिनों तक नीतिश-नायडू के दबाव में रहने की नहीं है, वे जल्द से जल्द एनडीए की सरकार को मोदी सरकार में तब्दील करना चाहते हैं। इसके लिए अमित शाह ने केंद्रीय एजेंसियों को काम पर लगा दिया है’
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्र में एनडीए सरकार का गठन भले हो गया हो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ भले ही ले ली हो पर इससे पहले कि नीतिश-नायडू बाबू कोई पैंतरा चलें, नई भाजपा के कुख्यात चाणक्य ने अपनी कुटिल नीति पर काम शुरू कर दिया है। पर्दे के पीछे ‘ऑपरेशन लोटस’ की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जिसके तहत ‘इंडिया’ गठबंधन, अन्य और खुद एनडीए के कुल ३६ सांसदों को भाजपा में विलय कराने का प्लान है, ताकि भाजपा आसानी से बहुमत के आंकड़े को पार करके २७६ के आंकड़े तक पहुंच जाए और फिर निरंकुश होकर विपक्षी पार्टियों का दमन कर सके। अपने उद्योगपति दोस्तों को लाभ पहुंचा सके।
पिछले ४ दिनों से नई दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में ऑपरेशन ‘लोटस’ की चर्चा जोरों पर है। चर्चा है कि नरेंद्र मोदी की मंशा ज्यादा दिनों तक नीतिश-नायडू के दबाव में रहने की नहीं है, वे जल्द से जल्द एनडीए की सरकार को मोदी सरकार में तब्दील करना चाहते हैं। इसके लिए अमित शाह ने केंद्रीय एजेंसियों को काम पर लगा दिया है और वे ऐसे कुल ३६ सांसदों को चिह्नित कर रहे हैं, जिन्हें आगामी ६ से ८ महीनों में भाजपा में शामिल करा लिया जाएगा। उनकी पार्टियों का विलय करवा लिया जाएगा।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बहुमत चाहते हैं मोदी!
ऑपरेशन ‘लोटस’ ३.० के तहत भाजपा नेता ऐसे दलों को चिह्नित कर रहे हैं जो चाहे किसी गठबंधन में हों, तटस्थ हों या निर्दलीय हों, उन्हें भाजपा में विलीन करवा लिया जाए। इसके लिए साम-दाम-दंड-भेद की हर संभव नीति का इस्तेमाल होना है, उसके लिए हर एक पैंतरे का इस्तेमाल होना है और जिसके लिए अधिकतम एक वर्ष की समयसीमा निर्धारित की गई है। हर हाल में बिहार विधानसभा के चुनावों से पहले मोदी भाजपा का आंकड़ा पूरा कर लेना चाहते हैं। खुद के बूते बहुमत हासिल कर लेना चाहते हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऑपरेशन लोटस ३.० के तहत निशाने पर एनडीए के मित्र दलों में जेडीएस (२), लोजपा (५), राष्ट्रीय लोकदल (२), जनसेना पार्टी (२), अजीत पवार की राकांपा (१), अपना दल-सोनेलाल (१), ऑल इंडिया स्टूडेंड यूनियन (१), हिंदुस्थानी आवाम मोर्चा (१), एसकेएम (१), यूपीपीएल (१) और एजीपी (१) का समावेश है। भाजपा आलाकमान इन १८ सांसदों के अलावा शिंदे गुट के ७ और बिहार में आरजेडी के ४ सांसदों पर भी दबाव बनाने की रणनीति तय कर चुका है। इसके अलावा उसकी निगाह ७ निर्दलीयों समेत सीपीआई-एम के १, आप के तीन, जेएमएम के ३, आईयूएमएल के तीन, सीपीआई के २, सीपीआई-एमएल के २, वीसीके के २, केसी-एम के एक और एमडीएमके, आरएलपी और आरएसपी के एक-एक सांसदों पर भी है। एक टीम के १६ अन्य सांसदों पर भी नकेल कसने को लगाया गया है। पूरी योजना यह है कि इन ६५ सांसदों में से कम से कम ३६ को भाजपा में विलय करवा लिया जाए या उनका इस्तीफा करवाकर भाजपा के टिकट पर पुनर्मतदान करवाकर जितवा लिया जाय, ताकि भाजपा अपने बूते पर २७२ से अधिक का आंकड़ा प्राप्त कर सके।