मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनाअब तक कहां थे हुजुर ?

अब तक कहां थे हुजुर ?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि मणिपुर एक साल से हिंसा का शिकार है। इस पर ध्यान नहीं दिया गया। साथ ही उन्होंने सच्चे सेवक को अंहकारी नहीं होने की नसीहत देते हुए चुनाव में मर्यादा का त्याग नहीं करना चाहिए की बात कही है। दरअसल, चुनाव में भाजपा के लचर प्रदर्शन के बाद उन्हें वे सभी बातें याद आ रही हैं, जों चुनाव के पूर्व व बीच में भी बोल सकते थे । मणिपुर तो साल डेढ़ साल से जल रहा है, इतनी देर के बाद मुंह खोलना ही बेमानी है। किसान आंदोलन में सैकड़ों किसान मारे गए, पहलवान बेटियों को अपमानित कर मारा-पीटा गया। किसानों को गाड़ी से कुचला गया, ऐसी कई शर्मसार करने वाली घटनाएं हुईं, मगर तब नसीहत क्यों नहीं देने को आई? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं में भैंस, मंगलसूत्र, मछली, मुर्गा न जाने क्या-क्या बोलते रहे, तब भी चुप्पी नहीं तोड़ी प्रमुख जी ने । सब कुछ चुपचाप देखते व सुनते रहे। ‘आग लगने से सब कुछ खाक हो जाने के बाद, कुआं खोदने’ वाली बात से ज्यादा कुछ नहीं है। प्रमुख जी के उक्त बयान के बाद यही कह सकते हैं कि अब तक कहां थे हुजुर ? बहुत देर कर दी !
हेमा हरि उपाध्याय ‘अक्षत’ उज्जैन

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