रोहित माहेश्वरी लखनऊ
यूपी में लोकसभा चुनाव के बाद अब छह महीने में एनडीए व विपक्षी गठबंधन इंडिया की फिर से परीक्षा होगी। इनकी परीक्षा उन ९ विधानसभा सीटों के उपचुनाव में होगी, जहां के विधायक अब सांसद बन चुके हैं। इस परीक्षा में पास-फेल होने से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, किंतु दोनों ही गठबंधन एक-दूसरे को हराकर बड़ा राजनीतिक संदेश जरूर देना चाहते हैं। प्रदेश की जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से तीन भाजपा के पास थीं। इसमें एक पर भाजपा के सिंबल पर निषाद पार्टी का उम्मीदवार विजयी हुआ था। इसके अलावा चार सीटें सपा के पास और एक रालोद के पास थी। ऐसे में इंडिया को चार और एनडीए को पांच विधानसभा सीटों के लिए ताकत लगानी होगी। इन सीटों पर छह माह के अंदर उपचुनाव होना है, वहीं भाजपा के एक एमएलसी भी सांसद बने हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी की गाजियाबाद, मझवां, मीरापुर, अयोध्या, करहल, कटेहरी, फूलपुर, कुंदरकी और खैर विधानसभा क्षेत्रों पर उपचुनाव होना तय हो गया है। बीजेपी व सहयोगी दलों ने लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा आठ विधायकों व तीन एमएलसी को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से फूलपुर लोकसभा सीट से प्रवीण पटेल ने जीत दर्ज की है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में विभिन्न दलों ने १४ विधायकों को चुनावी अखाड़े में उतारा था। इनमें से नौ विधायक सांसद बनने में कामयाब रहे।
भाजपा जहां सपा की भी सीटें जीतकर यह संदेश देने की कोशिश करेगी, वैसे प्रदेश में अभी भी उसकी स्थिति पहले की तरह मजबूत नहीं है। भाजपा की नजर खासकर रामनगरी अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर रहेगी, जहां जीतकर वह पैâजाबाद लोकसभा सीट की हार का बदला लेने की कोशिश करेगी। वहीं सपा भी भाजपा की सीटें जीतकर यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि प्रदेश में अब भाजपा कमजोर पड़ चुकी है। यही वजह है कि पार्टी अभी से इन सीटों पर मजबूत प्रत्याशियों की तलाश में जुट गई है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद करहल विधानसभा सीट खाली हो जाएगी। वो नेता प्रतिपक्ष भी हैं। वो अब कन्नौज से सांसद बन गए हैं। आंबेडकर नगर की कटेहरी सीट से विधायक लालजी वर्मा भी अब सांसद चुन लिए गए हैं। अयोध्या की मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रताप सिंह पैâजाबाद के सांसद बन गए। इसी तरह संभल की कुंदरकी विधानसभा से विधायक जियाउर्रहमान बर्क अब संभल सीट से चुनाव जीत कर सांसद बन गए हैं। पश्चिम की मीरापुर सीट से विधायक चंदन चौहान बिजनौर से सांसद चुने गए हैं। सपा के साथ गठबंधन में मीरापुर विधानसभा सीट जीतने वाले रालोद अब भाजपा के साथ हैं। ऐसे में इस सीट पर भी निगाहें लगी हैं। यह सीट उपचुनाव में रालोद के खाते में रहेगी अथवा नई रणनीति अपनाई जाएगी, इस पर भी चर्चा चल रही है।
सपा ने पैâजाबाद सामान्य सीट पर दलित उम्मीदवार उतारकर नया प्रयोग किया, जो सफल रहा। ऐसे में अब मिल्कीपुर से संभावित उम्मीदवार के तौर पर अवधेश प्रसाद के बेटे अमित प्रसाद को मौका मिलेगा अथवा नई रणनीति अपनाई जाएगी। अमित पहले भी दावेदारी कर चुके हैं। इसी तरह कटेहरी से विधायक लालजी वर्मा अब आंबेडकरनगर से सांसद बन गए हैं। यहां से उनकी बेटी आंचल भी दावेदार हैं। कुर्मी बिरादरी के अन्य कई नेता भी जोर आजमाइश में लगे हैं। मुरादाबाद जिले के कुंदरकी से विधायक जियाउर रहमान बर्क संभल से सांसद चुने गए हैं। ऐसे में कुंदरकी सीट पर जिया उर रहमान के पिता मामलुक उर रहमान और यहां के पूर्व विधायक मोहम्मद रिजवान प्रबल दावेदार हैं। ऐसे में पार्टी के सामने इन सीटों पर समन्वय स्थापित करते हुए इन्हें जीतने की चुनौती है। दूसरी चुनौती यह भी है कि उपचुनाव में कांग्रेस की भूमिका क्या होगी? मिर्जापुर जिले के मझवां से निषाद पार्टी के विधायक डॉ. विनोद बिंद अब भदोही से सांसद निर्वाचित हुए हैं। ऐसे में मझवां सीट निषाद पार्टी के खाते में रहेगी अथवा नहीं, इस पर चर्चा तेज हो गई है।
यूपी के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद विधान परिषद सदस्य हैं। वो पीलीभीत से सांसद चुने गए हैं। ऐसे में खाली होने वाली इस सीट पर भाजपा किसे मौका देगी, इस पर निगाहें लगी हैं। अभी विधान परिषद में भाजपा के ७२ और सपा के सात एमएलसी हैं। दरअसल, भाजपा के सामने अपनी तीन सीट बचाने के साथ विपक्ष की सीट छीनने की चुनौती है, क्योंकि अभी चार जून आए उपचुनाव के नतीजों में भाजपा को दो और सपा को दो सीट मिली। भाजपा को रॉबर्ट्सगंज की दुद्धी सीट गंवानी पड़ी है।
(लेखक स्तंभकार, सामाजिक, राजनीतिक मामलों के
जानकार एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं)