मुख्यपृष्ठस्तंभपंचनामा : महिलाओं के लिए असुरक्षित मुंबई लोकल की यात्रा!

पंचनामा : महिलाओं के लिए असुरक्षित मुंबई लोकल की यात्रा!

-दिनोंदिन बढ़ रहे अपराध, प्रभावी कदम उठाने में रेलवे कर रही लापरवाही

नागमणि पांडेय

मुंबई की लाइफलाइन के रूप में मुंबई लोकल को पहचाना जाता है। वैसे वर्तमान में इन लोकल ट्रेनों में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। हाल ही में चर्चगेट से लोकल में यात्रा करते समय एक महिला से शारीरिक संबंध बनाने की मांग की गई, जबकि आसनगांव स्टेशन पर लोकल के इंतजार में खड़ी नर्स के साथ विनयभंग करने की कोशिश की गई। इस तरह की बढ़ती घटनाओं को देखकर महिलाओं की सुरक्षा के प्रति रेलवे की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए जाने लगे।
मुंबई में पश्चिम रेलवे, मध्य, हार्बर, ट्रांस हार्बर मार्ग पर प्रतिदिन लाखों की संख्या में यात्री यात्रा करते हैं। मुंबई लोकल की यात्रा सुरक्षित, सस्ता और फास्ट होने के कारण लोग इसे प्राथमिकता देते हैं। लोकल पर दिन-प्रतिदिन लोड बढ़ता जा रहा है, साथ ही सुरक्षित यात्रा का मूल उद्देश्य पीछे छूट गया है। यहां तक कि मुंबईकरों की दैनिक लोकल यात्रा अच्छी और सुरक्षित हो, यह साधारण अपेक्षा भी पूरी नहीं हो पाती है। हाल ही में कांदिवली की रहने वाली २६ वर्षीय महिला बुधवार को चर्चगेट स्थित अपने कार्यालय के लिए लोकल ट्रेन से यात्रा कर रही थी। वो प्लेटफॉर्म की तरफ खिड़की वाली सीट पर बैठी थी। सुबह करीब ९.३० बजे ट्रेन मालाड में रुकी। आरोपी ने कथित तौर पर महिला के सामने एक अनुचित प्रस्ताव रखा और पूछा कि क्या वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाएगी। इस कमेंट को सुनते ही महिला परेशान हो गई। हैरान महिला तुरंत लोकल ट्रेन से उतर गई और प्लेटफॉर्म पर मौजूद रेलवे पुलिस से मदद मांगी।
ऐसा नहीं है कि केवल ट्रेन के डिब्बों में ही महिला यात्री असुरक्षित हैं। रेलवे स्टेशनों और प्लेटफॉर्मों पर महिला यात्रियों को भी इसका अनुभव होता है। दोपहर के साथ-साथ रात में भी महिला कोच में यात्रियों की संख्या कम रहती है। उस समय भी चोर-उचक्कों के डिब्बे में घुसने के कई मामले सामने आए हैं। अक्सर गर्दुल्ले महिला यात्रियों के मोबाइल, गले से चेन खींचने की कोशिश में उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं। इसके अलावा कोच में अकेली यात्रा कर रही महिला यात्री का विनयभंग कर अगले स्टेशन पर उतरकर भाग जाने की घटना भी पहले हो चुकी है।
सात साल में ६६८ मामले हुए दर्ज
२०१७ के बाद से मध्य और पश्चिमी उपनगरीय रेलवे लाइनों पर कुल ६६८ छेड़छाड़ के मामले हुए हैं। २०१७ में इस तरह के १७ मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद २०१८ में १५७ और २०१९ में १५० अपराध दर्ज किए गए। २०२० और २०२१ में कोरोना के कारण स्थानीय यातायात बंद होने के कारण अपराध दर कम हुई। उस समय क्रमश: ५० और ३६ मामले दर्ज किए गए थे। २०२२ में १०५ मामले दर्ज किए गए। २०१७ से अक्टूबर २०२२ तक ५२३ मामले सुलझाए गए और ५५४ लोगों को गिरफ्तार किया गया। वैसे देखा गया है कि कई महिलाएं अपने साथ हुई घटना की शिकायत नहीं करतीं हैं।
आरपीएफ और जीआरपी दोनों जिम्मेदार
यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए आरपीएफ और जीआरपी दोनों जिम्मेदार हैं। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) रेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है, जबकि रेलवे पुलिस (जीआरपी) राज्य सरकार के अंतर्गत आती है। वैसे वर्तमान में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इन दोनों के बीच बहुत अधिक समानता नहीं है। इसका असर सुरक्षा पर भी पड़ रहा है। लोकल ट्रेनों के महिला कोचों में सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी रेलवे पुलिस की है। आरपीएफ रेलवे संपत्ति और अन्य सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। रेलवे पुलिस के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं होने का रोना रोते हुए पुलिस वाले पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे पाते।
भीड़ का उठाते हैं फायदा
रेलवे में भीड़ इतनी अधिक होती है कि परिवार लेकर ट्रेन में चढ़ना बेहद मुश्किल हो जाता हैं। भीड़ का फायदा उठाकर यात्री महिला यात्री से छेड़छाड़ करते हैं।
-अरविंद मिश्रा
महिला डिब्बों की संख्या भी कम
महिला डिब्बों की संख्या भी कम होती है इसलिए भीड़ से बचने के लिए महिला यात्रियों को मजबूरन पुरुष डिब्बे में चढ़ना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ होती है। रेलवे को इसका उपाय खोजने की आवश्यकता है।

-मुन्ना मिश्रा
पुलिस बल की कमी
महिला डिब्बों में रेलवे पुलिस बल के कर्मचारी न होने के कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में भी कई दफा गर्दुल्ले महिला डिब्बे में चढ़कर महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं। -निहाल खोखले
शिकायत करने से कतराती हैं
रेलवे पुलिस के मनुष्य बल कीr कमी का खामियाजा भी आम महिला यात्रियों को भुगतना पड़ता हैं। इसके अलावा कुछ महिलाएं पुलिस के लफड़े में न पड़ने के बारे में सोचकर शिकायत करने से भी कतराती हैं।
-सिद्धेस दराने

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