गजेंद्र भंडारी
लोकसभा चुनाव में राजस्थान में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद प्रमुख नेताओं का राजनीतिक भविष्य संकट में आ सकता है। पार्टी आलाकमान ने इन नेताओं के सुझाव पर टिकट बांटे थे, लेकिन परिणाम अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहे। चूरू से राहुल कस्वां का टिकट काटा गया और उनकी जगह देवेंद्र झाझड़िया को टिकट दिया गया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी प्रकार श्रीगंगानगर से निहाल चंद मेघवाल का टिकट काटा गया और कांग्रेस के कुलदीप इंदौर यहां से चुनाव जीतने में सफल रहे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा और अब लोकसभा में खराब प्रदर्शन के बाद राजेंद्र सिंह राठौड़ का राजनीतिक करियर खतरे में है। राठौड़ खुद विधानसभा चुनाव हार गए थे और चूरू में बीजेपी भी पराजित हो गई। बीजेपी के बागी सांसद राहुल कस्वां टिकट काटने के लिए सीधे तौर पर राजेंद्र राठौड़ को दोषी मान रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ये नेता अब राजनीतिक संकट के दौर में हैं और उन्हें उभरने में समय लग सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान बीजेपी के प्रमुख नेता राजेंद्र सिंह राठौड़, सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे सिंधिया के राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। पार्टी में उनकी भूमिकाओं को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मौन ने बीजेपी नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। पहले यह माना जा रहा था कि वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को मोदी वैâबिनेट में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दुष्यंत सिंह ने झालावाड़ से लगातार पांचवी बार जीत दर्ज की है।
राजस्थान के हाथ आएगी बीजेपी कमान?
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब बीजेपी में संगठन बदलाव की चर्चा है। चर्चा इस बात को लेकर भी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह कोई अन्य नेता लेगा। नड्डा के अब मोदी वैâबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने के बाद इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि बीजेपी ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत के चलते इसी महीने के भीतर नए अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब बीजेपी में संगठन बदलाव की चर्चा है। चर्चा इस बात को लेकर भी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह कोई अन्य नेता लेगा। यह कयास तब और भी प्रबल हो गए जब नड्डा को वैâबिनेट में लिया गया। नड्डा का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है। इसी बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में कई चेहरे सामने आ रहे हैं। कभी अनुराग ठाकुर तो कभी राजस्थान से ओम बिरला के नाम की चर्चा हो रही है। वहीं राजस्थान से जुड़ाव रखने वाले एक और नेता का नाम इस दौड़ में शामिल बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल को यह जिम्मेदारी मिल सकती है। यह पहली बार नहीं है, जब उनका नाम इस तरह से चर्चा में आया है। इससे पहले भी बंसल का नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित दावेदार के तौर पर भी खूब उछला था। २० सितंबर १९६९ को उनका जन्म राजस्थान के जयपुर के कोटपूतली में हुआ था। उन्होंने छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के तौर पर राजनीति शुरू की।
हार के बाद क्या बोले भाटी?
राजस्थान में जिस सीट की सबसे अधिक चर्चा रही, वह है बाड़मेर-जैसलमेर सीट। इस सीट पर रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गए। भाटी की हार किस कारण हुई? इस पर भी खूब चर्चा हुई। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल ने रविंद्र सिंह भाटी को १ लाख १८ हजार १७६ वोटों के बड़े अंतर से हराया। हार के बाद शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर बात की। उन्होंने कहा मैं जनता का आभारी हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास दिखाया। भाटी ने कहा कि मेरे लोकसभा क्षेत्र की ५ लाख ८० हजार से अधिक जनता ने मेरे ऊपर विश्वास जताया। मैं उनकी सेवा के लिए हमेशा खड़ा रहूंगा। वहीं हार के बाद किसी बीजेपी नेता ने उनसे संपर्क किया, इस सवाल पर भाटी ने कहा मेरी किसी से बात नहीं हुई।