-विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा बना लेगी दादा से दूरी
सामना संवाददाता / मुंबई
आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में बड़ी सियासी उथल-पुथल की बात कही जा रही है। बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा, अजीत पवार से दूरी बना लेगी। सूत्रों का कहना है कि हाल के लोकसभा चुनाव के नतीजों में महाराष्ट्र में अजीत पवार गुट का काफी बुरा हाल हुआ है। अजीत पवार की अगुवाई वाली राकांपा राज्य में सिर्फ एक सीट जीतने में मुश्किल से कामयाब हुई। दूसरी ओर अजीत पवार को साथ लेने से भाजपा को फायदा की बजाय नुकसान ज्यादा हुआ। ऐसे में अब भाजपा दादा से अपना पीछा छुड़ाने के मूड में है।
नहीं दी गई दादा को तवज्जो
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में अजीत पवार को तवज्जो नहीं दी गई। बताया जाता है कि मंत्रिपरिषद में अजीत पवार की मांग के अनुसार, मंत्रालय देने से भाजपा की ओर से साफ मना कर दिया गया। इसके बाद अजीत पवार के नाराज होने की खबरें आने लगीं। इसके बावजूद भाजपा ने उन्हें मनाने का प्रयास नहीं किया। यह बात भी साफ संकेत दे रही है कि भाजपा अब पूरी तरह से अजीत पवार से किनारा करना चाहती है।
गठबंधन पर आरएसएस ने उठाए सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी पिछले चुनाव में अजीत पवार को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी। इसके बावजूद भाजपा ने अजीत पवार से हाथ मिलाया। यही नहीं, राज्य की एनडीए सरकार में अजीत दादा को उपमुख्यमंत्री बनाना भी घाव पर नमक रगड़ने जैसा साबित हुआ। बता दें कि आरएसएस ने भी अजीत पवार के साथ भाजपा गठबंधन पर सवाल उठाए थे। हाल ही में आरएसएस के मुखपत्र में इस बात का भी खुलासा किया गया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार का मुख्य कारण अजीत पवार के साथ गठबंधन ही है।
‘बीजेपी की ब्रांड वैल्यू’ कम हुई
लोकसभा चुनाव में इस बेमेल गठबंधन में भाजपा कार्यकर्ता राकांपा के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने को तैयार नहीं थे। अजीत पवार के साथ गठबंधन के कारण भी ‘बीजेपी की ब्रांड वैल्यू’ कम हुई है। इस बीच खबर है कि आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं को पवार विरोधी नारे के साथ तैयार किया जा रहा है। सिंचाई और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले से जुड़े होने के कारण ये कार्यकर्ता अजीत पवार के विरोधी हैं।