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सूर्या प्रकल्प से जुड़ी टनल की खुदाई का चल रहा था काम… १७ दिन बाद जागे सीएम!

– घटनास्थल का किया मुआयना… पोकलेन सहित दब गया था राकेश यादव

अमर झा/भायंदर

नायगांव-भायंदर के बीच घोड़बंदर के पास सूर्या टनल दुर्घटना में दबे मजदूर का अभी तक कोई पता नही चल पाया है। मलबे में दबे मजदूर का परिवार आज भी अपने बेटे को जिंदा लौट आने की आस में टनल के पास टकटकी लगाए बैठा है, जबकि १७ दिनों बाद इस मामले में सीएम एकनाथ शिंदे कुंभकर्णीr नींद से जागकर मामले की जानकारी लेने घटनास्थल पर शुक्रवार को पहुंचे। शिंदे ने कहा कि राकेश को खोजने में एनडीआरएफ के साथ-साथ आर्मी, नेवी, कोस्टगार्ड सेना को भी शामिल कर दिया गया है। घटनास्थल के आस-पास उपस्थित लोगोें ने कानाफूसी करते हुए कहा कि सीएम समय पर संज्ञान लेते तो शायद राकेश यादव मिल गया होता।
क्या था मामला?
ज्ञात हो कि घोड़बंदर में सूर्या प्रकल्प की परियोजना से जुड़े टनल पर खुदाई का कार्य चल रहा था। दुर्घटना वाले दिन राकेश यादव पोकलेन से खुदाई कर रहा था। राकेश जमीन की सतह से लगभग २०-२५ फीट नीचे खुदाई कर रहा था, तभी अचानक २० फीट तक सीमेंट से बनी सुरक्षा दीवार और उसका मलबा उस पर गिर गया, जिसमें राकेश पोकलेन सहित दब गया। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि सुरक्षा दीवार सहित लगभग १० टन का मलबा राकेश के ऊपर गिरा है। दुर्घटना के तुरंत बाद राहत कार्य शुरू कर दिया गया।
बचाव कार्य जारी
एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर प्रवीण राय के अनुसार, टीम लगातार दिन-रात काम कर रही है। बचाव कार्य में दो ब़ड़ी क्रेन, २ मानव रहित ब्रूक (मशीन) सहित अन्य उपकरण लगाए गए हैं, लेकिन खुदाई के साथ-साथ पानी का भी दबाव बढ़ता जा रहा है, जिससे एनडीआरएफ की टीम को लगातार परेशानी हो रही है। टीम की मानें तो अभी तक ४० फीट से अधिक खुदाई की जा चुकी है फिर भी सीमेंट का मलबा नहीं मिला है। इस हिसाब से राकेश और पोकलेन को ५०-६० फीट अंदर दबे होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि १७ दिनों के लगातार प्रयास के बाद भी मलबे में धंसा मजदूर और पोकलेन खबर लिखे जाने तक नहीं मिले हैं।

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