-खिड़की, दरवाजे, सीटें देने लगीं जवाब… यात्रियों को सताया डर, बसों के कारण जान जोखिम में न पड़ जाए
अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर मनपा की तरफ से उल्हासनगर में कई सालों बाद बस सेवा शुरू की गई। करीब चार महीने पहले बड़ी धूमधाम से शुरू हुई इस बस सेवा के बाद उल्हासनगर वासियों को इस बात की खुशी थी कि अब उनके शहर में यातायात की सुविधा में काफी हद तक सुधार होगा। लेकिन अब उनकी यह खुशी फुर्र हो गई है। सड़कों पर चल रही ये बसें अब खटारा हो गई हैं। चार महीने पूर्व जिन बसों को सड़कों पर उतारा गया था उनकी खिड़की, दरवाजे, वाइपर, सीटें तक जबाब देने लगी हैं। बसों की खस्ताहाल स्थिति को देखते हुए बस यात्रियों को इस बात का भय सता रहा है कि कहीं इन बसों के कारण उनकी जान जोखिम में न पड़ जाए। बता दें कि उल्हासनगर में इसी साल दस फरवरी को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पुत्र श्रीकांत शिंदे ने ब़ड़ी ही धूमधाम के साथ इन बसों का उद्घाटन किया था।
बसों की दयनीय स्थिति
कमला नेहरू नगर रहिवासी संघ के अध्यक्ष सुभाष सिंह बताते हैं कि वे अपने मित्रों के साथ सुबह मनपा की बस से सेंचुरी रेयान कंपनी (बिरला गेट) से धोबी घाट की तरफ जा रहे थे। तभी बरसात शुरू हो गई। पानी को अंदर आता देखा उन्होंने खिड़की बंद करनी चाही लेकिन जाम होने के कारण वह बंद नहीं हुई, जिसके कारण वे भीग गए। बारिश को देखते हुए बस ड्राइवर ने जैसे ही वाइपर ऑन किया, वैसे ही वाइपर निकल कर बाहर आ गया, इसके बाद बस चालक ने वाइपर को खींच कर उसे बस के कांच पर चढ़ाया। यही नहीं धोबी घाट आने पर जब सुभाष सिंह उतरने लगे तो बस का स्वचालित दरवाजा खुल ही नहीं रहा था। बस की ऐसी दशा देखकर यात्री खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
बसों की देखभाल का दिया जाएगा आदेश
जब इस बारे में उल्हासनगर परिवहन विभाग के प्रमुख विनोद केने से शिकायत की गई तो उन्होंने बताया कि बस की खिड़की, दरवाजे, वाइपर जैसी खराबी को दूर करने के साथ ही नियमित देखभाल के लिए बस के ठेकेदार को सूचना दी जाएगी। साथ ही अतिक्रमण निर्मूलन, यातायात पुलिस के साथ मीटिंग लेकर सड़क के अवैध पार्किंग, ठेले रिक्शे जैसे अवरोध को हटाया जाएगा, जिससे बस समय से चले।