-अनिल तिवारी
स्पेसएक्स और टेस्ला जैसी दिग्गज कंपनियों के मालिक एलन मस्क के बयान ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर फिर एक बार बहस छेड़ दी है। जिस तरह मस्क का मानना है कि ईवीएम मशीनों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से हैक किया जा सकता है, लिहाजा चुनावी प्रणाली से उन्हें हटा देना चाहिए, वैसा ही कुछ देश-विदेश के तमाम दिग्गजों को भी लगता रहा है। इनमें तकनीकी जानकारों से लेकर दुनिया की डेमोक्रेसी वाले कई देशों का भी समावेश है।
हिंदुस्थान में लोकसभा चुनावों के नतीजों पर अभी बहस थमी भी नहीं है कि दुनिया के सबसे बड़े टेक जायंट माने जानेवाले एलन मस्क ने इस पर नया प्रश्न उठा दिया है। मस्क मानते हैं कि ईवीएम हैक हो सकती है। मस्क की तरह हम भी यह बात हमेशा से कहते आए हैं। इस बार चुनाव प्रचार के दौरान कई तर्क आए कि ईवीएम को हैक करना संभव नहीं है। माना कि सभी ईवीएम को हैक करना संभव नहीं है, परंतु जब नीयत साफ न हो तो कुछ के साथ छेड़छाड़ हो ही सकती है। कांटे की टक्कर वाली कुछ निर्णायक सीटों पर इससे छेड़खानी संभव है। खास तौर पर ऐसे समय में जब चुनाव आयोग से लेकर समग्र प्रशासन सत्ता की जेब में हो तो इस संभावना से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता।
लोकतंत्र में कुछ चुनिंदा सीटों के नतीजे भी बाजी पलटने के लिए काफी होते हैं। इसलिए हम उन तर्कों को बेमाने समझते हैं, जिनमें लगातार प्रचारित किया जाता रहा था कि जब तक किसी मशीन का किसी तरह से भी इंटरनेट से बाहरी कनेक्शन नहीं हो तो उसे हैक करना संभव नहीं है। लोग तर्क दे रहे थे कि ईवीएम में तो वाई-फाई कनेक्शन भी नहीं है। ऐसे लोगों को यह भी बताना चाहिए कि आपके पॉकेट में रखे डेबिट और क्रेडिट कार्ड में कौन
ाा वाई-फाई कनेक्शन है, तब भी वो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को अंजाम देता ही है न! आज के युग की नई तकनीक में तो केवल मशीन से छुआ भर देने से कार्ड से पैसा कट जाता है और वो तुरंत एक एसएमएस के माध्यम से आपके मोबाइल फोन पर रिफ्लेक्ट भी होने लगता है। कहने का तात्पर्य यही कि जब एक पावरलेस, कनेक्शन लेस छोटा सा कार्ड ग्लोबल डिजिटल सिस्टम में काम कर सकता है तो फिर किसी मशीन में लगी एक छोटी सी माइक्रो मिनी चिप ऐसा क्यों नहीं कर सकती? वह तो १००-२०० मीटर या कुछ एक किलोमीटर दूर से भी हैक हो सकती है। ४५-५० साल पहले धरती से अंतरिक्ष में भेजे गए वॉयजर-वन और टू जैसे बेहद पुरानी तकनीक से बने अंतरिक्ष यानों को, जो सौर मंडल की सीमा तक को पार करके २३ से २५ अरब किलोमीटर दूर पहुंच चुके हैं, आज भी नई तकनीक से कंट्रोल किया जाता है, उनके पुराने कम्प्यूटर्स के प्रोग्राम चेंज किए जाते हैं। लिहाजा, तकनीक की दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। ईवीएम की हैकिंग भी नहीं। इसीलिए हम एलन मस्क के दावे से इत्तेफाक रखते हैं कि ईवीएम मशीनों को अपनी सुविधानुसार हैक भी किया जा सकता है और उसमें मत प्रतिशत भी बढ़ाए जा सकते हैं, जैसा की इस बार देश को पहली बार अनुभव हुआ।