मुख्यपृष्ठनए समाचारपांच देशों में पहुंचा मांस खानेवाला बैक्टीरिया ...४८ घंटों में दम तोड़...

पांच देशों में पहुंचा मांस खानेवाला बैक्टीरिया …४८ घंटों में दम तोड़ सकता है इंसान

पूरी दुनिया में फैलने की बढ़ी आशंका

सामना संवाददाता / मुंबई
दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है। इसी बीच जापान में फैले एक बैक्टीरिया ने सभी को चिंता में डाल दिया है। जापान में इस वक्त एक टिश्यू डैमेजिंग बैक्टीरिया तेजी से फैल रहा है, जिसकी चपेट में आने से इंसान सिर्फ ४८ घंटों में ही दम तोड़ सकता है। जापान में अब तक इसके ९७७ केस सामने आए हैं। साथ ही यह दुनिया के पांच देशों में पहुंच चुका है। इस जानलेवा बैक्टीरिया की वजह से फैलने वाली बीमारी को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे में अब आशंका बढ़ने लगी है कि कोविड की तरह यह बैक्टीरिया जल्द ही पूरे विश्व में फैल सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक रेयर बैक्टीरिया है, जिसके मामले जापान में साल १९९९ से दर्ज किए जा रहे हैं। हर साल स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम की वजह से सैकड़ों लोग बीमार हो जाते हैं, जिनमें तमाम लोगों की मौत भी हो जाती है। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्टियस डिजीज की मानें तो साल २०२३ में इस घातक बैक्टीरिया की चपेट में ९४१ लोग आए थे। हालांकि, इस साल दो जून तक ९७७ केस मिलने से डर का माहौल बन गया है।
जापान के अलावा भी कई देशों में इस तरह की बीमारी के केस देखे गए हैं, जिनमें यूरोपियन देश भी शामिल हैं। टोक्यो वीमेंस मेडिकल यूनिवर्सिटी में इंफेक्टियस डिजीज के प्रोफेसर केन किकुची का कहना है कि अगर जापान में संक्रमण की रफ्तार इसी तरह रही, तो साल २०२४ में इस बैक्टीरिया की चपेट में करीब २,५०० लोग आ सकते हैं। चिंता की बात यह है कि इस बीमारी की मृत्यु दर ३० प्रतिशत है। अधिकतर मरीजों की मौत सिर्फ ४८ घंटों में हो सकती है। ४० साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को इस बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है और इस एज ग्रुप के लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, साल २०२२ में कम से कम पांच यूरोपियन देशों में ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस डिजीज के केस रिपोर्ट किए गए थे, जिसमें स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के केस भी थे।

इस घातक बीमारी के लक्षण
इस घातक बीमारी के लक्षणों में दर्द या सूजन, बुखार, लो ब्लड प्रेशर, इंफेक्शन आदि शामिल हैं। ये लक्षण सांस संबंधी समस्याएं, अंगों का फेल होना और यहां तक कि जानलेवा तक हो सकते हैं। इस बीमारी की भयावह स्थिति यह है कि ४८ घंटे के अंदर मरीज को इलाज ना मिले तो जान भी जा सकती है। इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि बैक्टीरिया न पनपे, इसलिए समय-समय पर हाथ धोते रहें। हाइजीन का पूरा ख्याल रखें और संक्रमित व्यक्ति से पर्याप्त दूरी बनाकर रखें।

अन्य समाचार