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मंत्री जी को नहीं सुनाई दे रहीं यात्रियों की चीखें … पब्लिक बोल रही है इस्तीफा दो! … जानलेवा रेल हादसों पर जनता मांग रही जवाब

अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
लगता है केंद्र की एनडीए सरकार में रेलवे मंत्री बने अश्विन वैष्णव को यात्रियों की दर्दभरी चीखें सुनाई नहीं दे रही हैं। तभी तो साल-दर-साल हो रहे रेलवे हादसों में कमी आने की बजाय हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं। कंचनजंगा एक्सप्रेस के यात्रियों को सुबह ९ बजे इतनी जोर का झटका लगा कि कई यात्री हवा में उछल गए तो कुछ सामने वाली सीट से जा टकराए, जिसके बाद कइयों की मौत हो गई, जिनकी आंखें खुली तो सामने का नजारा देखकर उनकी रूह कांप उठी। पिछले डिब्बे में सवार यात्रियों ने जब बाहर देखा तो खुद को हवा में लटका हुआ पाया। अपने सामने मौत को यूं खड़ा देख वे सन्न रह गए। ऐसे हालात जलपाईगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस में सवार यात्रियों की थी। इस एक्सप्रेस को पीछे से हाई स्पीड में आ रही मालगाड़ी ने ठोकर मार दी, जिसके बाद एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए और एक डिब्बा हवा में टंग गया। इस भीषण हादसे में अब तक ९ लोगों की मौत और ६० लोग घायल बताए जा रहे हैं। सियालदह जानेवाली कंचनजंगा एक्सप्रेस में लगभग २ हजार यात्री सवार थे। इस दुर्घटना को लेकर केंद्र सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षों से देश में हाई स्पीड बुलेट ट्रेन के कार्यों का सरकार द्वारा जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, जबकि साधारण रेलवे के कई ट्रेन हादसों ने लोगों को भयभीत कर रखा है। ओडिशा के रेल हादसे ने यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया था।
बता दें कि अश्विनी वैष्णव के रेल मंत्री बनने के बाद से ट्रेन हादसों में वृद्धि की खबरें सामने आई हैं, जिसके कारण सोशल मीडिया पर उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है। लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान सुरक्षा उपायों में कमी आई है और ट्रेनों की देखरेख में लापरवाही बरती जा रही है। हालांकि, इसके विपरीत रेलवे मंत्रालय ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि वे सुरक्षा और रखरखाव पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और हादसों के पीछे तकनीकी और परिचालन संबंधी कारण हैं, जिनका निराकरण किया जा रहा है। इसके बावजूद जनता में असंतोष बढ़ रहा है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके इस्तीफे की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। यह स्थिति दर्शाती है कि रेलवे सुरक्षा और प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है और यह भी कि जनता का विश्वास हासिल करना किसी भी मंत्री के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है।

कोरोमंडल एक्सप्रेस जैसे हादसों की याद हुई ताजा
पश्चिम बंगाल में रंगापानी स्टेशन के पास कल एक मालगाड़ी और सियालदह जानेवाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के बीच टक्कर हो गई। इस घटना से एक बार फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस जैसे हादसों की याद ताजा हो गई है। एक `वंदे भारत’ चला देने से अन्य रेल की स्थिति अच्छी नहीं हो जाती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटनास्थल पर पहुंचकर देश पर बहुत बड़ा एहसान किया है। एक जमाने में मंत्री इस्तीफा दे देते थे, लेकिन अब ये इसमें भी तारीफ बटोरते हैं कि वे घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। कुल मिलकार, पश्चिम बंगाल में हुई रेल दुर्घटना में कई यात्रियों की मृत्यु की खबर पीड़ादायक है।
-एड. विनय कुमार सिंह, समाजसेवी, मुलुंड
रेलवे के निजीकरण से हादसे का होना स्वाभाविक
इस घटना के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। जिस देश में रेलवे का निजीकरण कर दिया गया, वहां दुर्घटनाएं तो होंगी ही। इससे पहले कांग्रेस और यूपीए सरकार के समय जब दुर्घटनाएं होती थीं, तब मंत्री खुद इस्तीफा दे देते थे। अब ऐसी घटनाओं के बाद मंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं। हमें इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। यह सरकार इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।
-राकेश हरिजन, ठाणे
रेलमंत्री के आश्वासन झूठे
कवच सिस्टम को लेकर किए गए दावे के बाद भी रेल हादसा होना इस बात का सबूत है कि हमारे रेलमंत्री के आश्वासन झूठे थे। सुरक्षा मामले में बड़े-बड़े दावों के बावजूद हादसा हो जाता है, तो जिम्मेदारी लेना और इस्तीफा देना ही एकमात्र सही कदम है।
-प्रणाली
रेलवे सिस्टम फेल
बार-बार हो रहे रेल हादसे इस बात का संकेत हैं कि हमारे रेलवे सिस्टम को पुनर्गठित करने की सख्त जरूरत है। रेल हादसों को रोकने के लिए हमें नई तकनीकों और सुरक्षा उपायों को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि यात्रियों का विश्वास बहाल हो सके।
-अग्रज त्रिपाठी

आखिर एक ट्रैक पर कैसे आईं दो ट्रेनें
पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस के एक मालगाड़ी से टकराने से यात्रियों की हुई बेमौत ने स्तब्ध कर दिया है। इस हादसे ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें वैâसे आर्इं? रेलवे अधिकारी अपने पास नई टेक्नोलॉजी और एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों की आवाजाही रोकने के लिए तमाम इंतजाम के दावे करते हैं, लेकिन इस हादसे ने इन दावों की हवा निकाल दी है।
-कल्लू गिरी, नागरिक, ठाणे

सुरक्षा की झूठी गारंटी
देश के सामने झूठे वादे करनेवाले मंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। कवच सिस्टम के दावे फेल हो चुके हैं। रेलमंत्री द्वारा किए गए कवच सिस्टम के दावे के बाद हादसा होना उनकी असफलता की निशानी है और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। सुरक्षा की गारंटी देनेवाला मंत्री जब अपने दावे में विफल हो जाए, तो जनता के विश्वास की रक्षा के लिए उसका इस्तीफा आवश्यक है।
-शिवांश शुक्ला

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में हुए
कई बड़े रेल हादसे
ओडिशा रेल हादसा (जून २०२३)
ओडिशा के बालासोर जिले में २ जून २०२३ को तीन ट्रेनों की टक्कर से हुआ हादसा सबसे गंभीर था। इस दुर्घटना में २९५ लोग मारे गए और १,१७५ से अधिक लोग घायल हुए।
मदुरै ट्रेन हादसा (अगस्त २०२३)
२६ अगस्त २०२३ को लखनऊ से रामेश्वरम जा रही ट्रेन में तमिलनाडु के मदुरै रेलवे स्टेशन के पास आग लग गई थी। इस हादसे में १० लोगों की जलकर मौत हो गई थी। रेलवे की तरफ से बताया गया था कि जिस डिब्बे में आग लगी थी, वह निजी डिब्बा था, जिसे अलग से ट्रेन में जोड़ा गया था और डिब्बे में गैस सिलेंडर होने के कारण आग लगी थी।
आंध्र प्रदेश रेल हादसा (अक्टूबर २०२२)
आंध्र प्रदेश में अक्टूबर २०२२ में एक ट्रेन दुर्घटना हुई, जिसमें ट्रेन के चालक का ध्यान भटकने से हादसा हुआ। इस हादसे में ९ लोग मारे गए और ३६ लोग घायल हुए। इन हादसों के अलावा भी कई छोटी-मोटी दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुछ लोग घायल हुए और कुछ मारे गए।
अलीपुरद्वार ट्रेन हादसा (जनवरी २०२२)
१३ जनवरी २०२२ को बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के १२ डिब्बे पटरी से उतर गए थे। यह हादसा पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में हुआ था। इसमें ९ लोगों की मौत हो गई थी और ३६ लोग घायल हुए थे।
महाराष्ट्र ट्रेन हादसा (अक्टूबर २०२०)
१६ अक्टूबर २०२० को महाराष्ट्र के करमाड के पास हैदराबाद-मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस एक्सप्रेस और हजूर साहिब नानदेड़-मुंबई छत्रपति शिवाजी टर्मिनस राजधानी स्पेशल के बीच टक्कर हो गई थी। इस हादसे में १६ लोगों की मौत हुई थी।

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