मनमोहन सिंह
कांग्रेस ने सोमवार को घोषणा की कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली में अपनी सीट बरकरार रखेंगे और केरल में वायनाड छोड़ देंगे, जहां उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी राजनीति की शुरुआत करेंगी। अगर प्रियंका सुरक्षित सीट मानी जानेवाली वायनाड से जीतने में कामयाब हो जाती हैं, तो यह पहली बार होगा कि नेहरू-गांधी परिवार के तीन सदस्य एक ही समय में संसद में होंगे, सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं।
हाल ही में संपन्न संसदीय चुनावों में, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में छह सीटें जीतकर कुछ सुधार किया। कांग्रेस २०१९ में रायबरेली को छोड़कर यूपी में अमेठी सहित सभी सीटें हार गई थी। सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को राहुल की हार से लगा था वे स्मृति ईरानी से हार गए थे। २०१९ में पार्टी सबसे निचले स्तर पर थी, जब राज्य में इसका वोट शेयर सिर्फ ६.३६ फीसदी था। २०१४ में कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं। रायबरेली (सोनिया गांधी) और अमेठी (राहुल गांधी) और उसका वोट शेयर ७.५३ फीसदी था, हालांकि, इस बार पार्टी ने सिर्फ १७ सीटों पर चुनाव ल़ड़ा था। शेष सीटें `इंडिया’ गठबंधन और साथी दलों के लिए छोड़ दीं और वह छह सीटें जीतने में कामयाब रही और सीमित संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद, उसका वोट शेयर बढ़कर ९.४६ फीसदी हो गया। संसद के निचले सदन में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाले राज्य से सकारात्मक परिणाम के साथ, पार्टी यह संदेश देना चाहेगी कि राहुल सीट नहीं छोड़ रहे हैं और विश्वास दिलाएं कि उन्हें और पार्टी को चुनाव में अच्छा परिणाम मिला। दूसरा पहलू यह है कि यूपी में कांग्रेस और एसपी के लिए सकारात्मक नतीजे आने से राज्य में माहौल भाजपा के खिलाफ होता नजर आ रहा है। पार्टी २०१९ में ६२ से घटकर सिर्फ ३३ सीटें जीतने में सफल रही। राहुल द्वारा रायबरेली को बरकरार रखने के पैâसले के साथ पार्टी एक स्पष्ट संदेश दे रही है। वह यूपी और हिंदी बेल्ट में अपनी लड़ाई जारी रखेगी और राज्य में नतीजों से आगे बढ़ते हुए, भाजपा का मुकाबला करेगी। सपा के साथ कांग्रेस के गठबंधन के चलते राहुल का रायबरेली पर कब्जा बरकरार है। राहुल ने बार-बार दावा किया है कि वायनाड के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव है। यह निर्वाचन क्षेत्र राहुल के बचाव में तब आया, जब कांग्रेस २०१९ में अपने सबसे निचले स्तर पर थी और यूपी में लगभग सफाया हो गया था, कांग्रेस नेता ने अपने परिवार का गढ़ अमेठी खो दिया था। उस समय केरल के वायनाड ने कांग्रेस की साख बचाई थी। खैर, अब जब वायनाड से प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना तय हो ही गया है। प्रियंका ने पार्टी के पैâसले को स्वीकार करते हुए कहा, `मैं वायनाड के लोगों को अपने भाई की अनुपस्थिति का अहसास नहीं होने दूंगी।’
दरअसल, इस लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने रायबरेली में रहकर कांग्रेस को मजबूती दी और राहुल भारत यात्रा में कांग्रेस के लिए सपोर्ट जुटाते रहे कांग्रेस को मजबूत बनाते रहे। राहुल ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश के साथ भाजपा पर जो कहर बरपाया है उसे देखते हुए कांग्रेस ने साफ मैसेज दिया है कि राहुल गांधी ही पार्टी का चेहरा हैं और इसीलिए वह उत्तर प्रदेश से दूर नहीं जा सकते हैं। कांग्रेस को प्रियंका पर भी पूरा विश्वास है कि यदि वायनाड से राहुल दूर भी हो जाते हैं तो वह वायनाड की जनता की नाराजगी दूर कर देगी और चुनावी नतीजे को अपने पक्ष में करने में कामयाब होंगी। हालांकि यह प्रियंका का पहला चुनाव होगा। कांग्रेस की साफ रणनीति है कि वह उत्तर भारत में राहुल के करिश्माई व्यक्तित्व और दक्षिण में प्रियंका के सहज एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व के चलते उत्तर दक्षिण की राजनीति में बैलेंस बनाने में सफल रहेगी।