३०-३० बेड केईएम, सायन और नायर में आरक्षित
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई में मानसून ने जून के पहले ही सप्ताह में दस्तक दे दिया है। कई दिनों तक थमे मेघराज माह के तीसरे सप्ताह से झमाझम बरस रहे हैं। हालांकि, मुंबई मनपा मानसूनी बीमारियों और संक्रमण को रोकने की तैयारियां अब तक पूरी नहीं कर पाई है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो हर साल वाला फॉर्मूला इस बार भी इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, इस साल धुआंधार बारिश की संभावना है। ऐसे में जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा होगी, जो कई मौसमी बीमारियों को न्योता देगी। इसे देखते हुए कहा जा रहा है कि इस साल मानसून मुंबईकरों के लिए न केवल जी का जंजाल बनेगा, बल्कि इसकी रोकथाम में मनपा के पसीने भी छूटने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई में मानसून के दौरान मलेरिया, डेंगू, लेप्टो, चिकनगुनिया, स्टमक फ्लू, स्वाइन फ्लू, टाइफाइड जैसी बीमारियों के पैâलने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए मनपा स्वास्थ्य समेत संबंधित विभागों की ओर से जल जनित व कीट जनित बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए हर साल विभिन्न उपाय किए जाते हैं। हर साल की तरह इस बार भी पुराना फार्मूला इस्तेमाल किया जा रहा है। मौसमी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के कार्य को अधिक सटीकता, मानव बल और संसाधनों की उचित योजनाओं पर ध्यान देने की बात मनपा की तरफ से कही जा रही है।
मनपा अस्पतालों में तैयार हैं बेड
मानसून में मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए मनपा अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए १,२०० से अधिक बेड आरक्षित किए गए हैं। इसके तहत केईएम, सायन, नायर अस्पतालों में मानसूनी बीमारियों वाले रोगियों के लिए ३०-३० बेड आरक्षित किए गए हैं। उपनगरीय अस्पतालों में शामिल कांदिवली के भीमराव आंबेडकर अस्पताल में ७० बेड आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा दो आईसीयू, तीन वयस्क वेंटिलेटर और दो बाल चिकित्सा वेंटिलेटर भी आरक्षित किए गए हैं। राजावाड़ी अस्पताल में ७२ बेड रिजर्व रखे गए हैं, जिनमें आईसीयू और वेंटिलेटर भी शामिल हैं। इसके अलावा अन्य उपनगरीय अस्पतालों में लगभग ४० से ५० बेड आरक्षित किए गए हैं।
फिलहाल, अन्य मरीजों का भी हो रहा इलाज
मनपा अस्पतालों की निदेशक डॉ. निलम आंद्राडे ने कहा कि जिन क्षेत्रों में मानसून से संबंधित रोगियों की संख्या अधिक दिखाई देने की संभावना है, वहां हम बेडों की संख्या अधिक रखे हुए हैं। हालांकि, अभी मानसून से संबंधित ज्यादा मरीज नहीं आ रहे हैं, इसलिए उन बेडों पर दूसरे रोगों से पीड़ित मरीजों का भी इलाज हो रहा है। डेंगू, मलेरिया आदि मौसमी बीमारियों की संख्या बढ़ती है तो वॉर्डों को एडजस्ट कर दिया जाएगा।