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राजस्थान का रण : गहलोत ने दी ऑपरेशन पर सफाई

गजेंद्र भंडारी

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर अपने हार्निया के ऑपरेशन के बारे में बताते हुए चिरंजीवी योजना पर सवाल उठाने वाले डॉक्टरों को घेरे में लिया है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों के कुछ डॉक्टरों को ऐसा असत्य बोलकर एक अच्छी योजना एवं मेडिकल जैसे पवित्र पेशे को बदनाम करने से बचना चाहिए। दरअसल, निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने चिरंजीवी योजना पर आरोप लगाया है। डॉक्टरों ने सीएम भजनलाल शर्मा को सुझाव देते हुए कहा है कि पूर्व सरकार की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना इस सदी की सबसे अव्यवहारिक, अलोकतांत्रिक और असफल योजना रही है। ये वैâसे संभव है कि एक अत्यधिक गंभीर मरीज जिसका कई ऑर्गन फेल है, उसका उच्च कोटि का इलाज ४,५०० रुपए प्रतिदिन में हो। इस पर गहलोत ने सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट लिखी है। उन्होंने लिखा, ‘कल बजट पूर्व चर्चा में किसी डॉक्टर द्वारा मेरे ऑपरेशन पर तथ्यात्मक रूप से गलत बयान मीडिया के माध्यम से जानकारी में आया है। मेरा हार्निया का ऑपरेशन फरवरी, २०१९ में हुआ था, जबकि चिरंजीवी योजना मई २०२१ से शुरू हुई थी। मेरी आर्टरी में ब्लॉकेज, पैरों के अंगूठों में  फ्रैक्चर एवं कोविड के बाद हैपी हाइपोक्सिया होने पर इलाज एसएमएस अस्पताल, जयपुर में ही हुआ, जिसके कारण मैं वहां कुछ दिन भर्ती भी रहा एवं सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर ही इलाज करवाया। चिरंजीवी योजना से लाखों लोगों के जीवन में सुधार हुआ है। अगर ये योजना न होती तो न जाने कितने गरीबों एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के जमीन-जायदाद इलाज में बिक जाते। निजी अस्पतालों के कुछ डॉक्टरों को ऐसा असत्य बोलकर एक अच्छी योजना एवं मेडिकल जैसे पवित्र पेशे को बदनाम करने से बचना चाहिए। हमारी सरकार ने राइट-टू-हेल्थ का कानून बनाया, जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में नि:शुल्क इलाज हो सके। वर्तमान सरकार को डॉक्टर एसोसिएशन के साथियों को विश्वास में लेकर राइट-टू-हेल्थ के नियम जल्द से जल्द बनाकर लागू करने चाहिए, जिससे राजस्थान के हर निवासी को इलाज का अधिकार मिले।
महिलाओं को आरक्षण पड़ रहा भारी
राजस्थान की भजनलाल सरकार ने तृतीय वर्ग शिक्षक भर्ती में प्रदेश की महिलाओं को ५० फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया। इसी निर्णय के विरोध में बाड़मेर जिला मुख्यालय पर सैकड़ों युवा सड़कों पर उतर आए हैं। युवाओं का कहना है कि अगर महिलाओं को ५० फीसदी आरक्षण ही देना है तो पहले राजनीति में दो। पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दो। सरकार के वैâबिनेट में लागू करो और फिर किसी सरकारी भर्ती में लागू हो। राजस्थान में महिलाओं को शिक्षक भर्ती में ५० फीसदी आरक्षण देने का पैâसला भजनलाल सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है। सरकार के इस पैâसले के विरोध में युवा सड़कों पर उतर गए हैं। बाड़मेर जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के आगे बेरोजगार युवाओं ने जमकर प्रदर्शन कर भजनलाल सरकार को नसीहत दे डाली। बेरोजगार युवा संघ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे लक्ष्मण गोदारा नाम के युवक ने कहा कि अगर सीएम भजनलाल को महिलाओं को ५० फीसदी आरक्षण देना है तो इसकी शुरुआत वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री बनाकर करें। उसके बाद लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को ५० फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करें, वरना हम केवल रीट में ५० फीसदी आरक्षण नहीं होने देंगे। युवाओं का कहना है कि उन्होंने अगली भर्तियों के लिए कड़ी मेहनत की है। यदि सरकार इस तरह से महिलाओं को ५० फीसदी आरक्षण देती है, तो युवाओं में बेरोजगारी बढ़ती जाएगी। उनकी मांग है कि जल्द से जल्द भजनलाल सरकार महिलाओं को आरक्षण देने के पैâसले को वापस ले, अन्यथा युवाओं को मजबूरन जयपुर में बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा।
कांग्रेस ने शिक्षा मंत्री को आड़े हाथों लिया
लोकसभा चुनाव में वोटिंग से पहले अलग-अलग सभाओं में राजस्थान के शिक्षामंत्री मदन दिलवार ने कांग्रेस पर बयानबाजी की थी। खास तौर पर उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर टिप्पणी की थी। दिलावर ने डोटासरा को निकम्मा तक कह दिया। अब इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने एक्स मीडिया हैंडल से दिलावर पर जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस ने दिलावर को इंग्लिश मीडियम स्कूलों को बंद करने और उनके खिलाफ एजेंडा चलाने वाला भी बता दिया। इसमें कहा कि या तो शिक्षा मंत्री को समझ नहीं है, जानकारी की कमी है या फिर शिक्षा मंत्री के पद पर प्राइवेट स्कूलों के सेल्समैन बनकर घूम रहे हैं? मंत्री जी लगातार महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को बंद करने एवं उनके खिलाफ एजेंडा चला रहे हैं। क्या शिक्षा मंत्री को इतनी भी जानकारी नहीं कि पहले जिला मुख्यालय पर कक्षा १ से ८वीं तक की कक्षाओं को अंग्रेजी माध्यम में रूपांतरित किया गया था और जनता से मिले फीडबैक के आधार पर बाद में रूपांतरित स्कूलों में कक्षा १ से ५वीं तक की कक्षाओं को ही अंग्रेजी माध्यम में रूपांतरित किया गया।

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