-गड्ढों का शहर बना मीरा-भायंदर
अमर झा / मीरा रोड
मीरा-भायंदर में खोदे गए गड्ढे अब अपना रौद्र रूप दिखा रहे हैं। ऐसे ही तीन वर्षों पूर्व बायो गैस प्रकल्प के लिए खोदे गए गड्ढे ने एक मासूम की जान ले ली। इस दुर्घटना से मीरा- भायंदर मनपा प्रशासन की लापरवाही उजागर होता है। अगर समय रहते मनपा प्रशासन नहीं जागा तो बारिश से भरे गड्ढे से और जान जाने का खतरा बना रहेगा।
ज्ञात हो कि मीरा-भायंदर शहर गड्ढों का शहर बन गया है। हर तरफ किसी न किसी काम को लेकर गड्ढे खोदे गए हैं। कहीं सड़क निर्माण को लेकर, कहीं गटर, तो कहीं किसी प्लांट को बानाने के लिए। अब बारिश आ गई है तो गड्ढे में पानी भर गया है। लोगों को गड्ढे की गहराई का अंदाज नहीं मिल पाएगा और लोग दुर्घटना के साथ मौत का भी शिकार हो रहे हैं।
ऐसे ही तीन वर्ष पूर्व मिरा रोड के पेंकरपाड़ा में बायो गैस प्रकल्प के लिए गड्ढे खोदे गए थे, इसमें शुक्रवार शाम को खेलते समय एक मासूम की जान चली गई। पेंकर पाडा के शिवशक्ति नगर के रहवासी मासूम के पिता से मिली जानकारी के अनुसार, इनका मासूम बेटा शाम 5 बजे अपने घर के पास जीजा माता उद्यान में खेलने गया था। उद्यान और बायो गैस प्रकल्प के बीच की दीवार नहीं रहने के कारण मृतक बालक खेलते हुए गड्ढे के पास चला गया, जहां वो पानी से भरे गड्ढे में गिर गया। जब दो-तीन घंटे बाद घरवालों ने बालक को खोजना शुरू किया, तो बालक गड्ढे में मृत पाया गया। इस तरह मनपा की लापरवाही से एक परिवार का चिराग बुझ गया।
इस मामले में स्थानीय पूर्व नगरसेविका अनिता पाटील ने बताया कि इस घटना के लिए मनपा प्रशासन व ठेकेदार पूर्णरूप से जिम्मेदार हैं। तीन वर्षों से प्रकल्प का कार्य अधूरा है। यहां गड्ढे में बरसात में पानी भर जाता है और बाउंड्री दीवार टूटी है। मनपा प्रशासन को यहां सुरक्षा रक्षक रखना चाहिए, ताकि बच्चों को उधर जाने से रोका जा सके।