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हिंदुस्थान में बढ़ रहा अवैध सट्टे का कारोबार… राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंडराया खतरा

-विदेशी कंपनियों तक पहुंच रहा डाटा 

-रिपोर्ट से हुआ हैरतअंगेज खुलासा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली 

हिंदुस्थान में अवैध सट्टे और जुए के कारोबार में लगातार वृद्धि हो रही है। खास बात यह है कि अधिकांश सट्टा या जुआ ऑनलाइन होते हैं जो ग्राहकों की सम्पूर्ण जानकारी मांगते हैं, जिन्हें ग्राहक आसानी से दे भी देता है। ये सारी जानकारी विदेशी कंपनियों तक पहुंच रही है। इस बात का खुलासा पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक सेंटर फॉर नॉलेज सॉवरेन्टी ने एक श्वेत पत्र के जरिए किया गया है। इस रिपोर्ट में इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि इससे देश की सुरक्षा में भी खतरा पैदा हो सकता है।
१०० अरब डॉलर का अवैध कारोबार
सेंटर फॉर नॉलेज सॉवरेन्टी की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि हिंदुस्थान में अवैध सट्टे का कारोबार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है और विभिन्न माध्यमों से इसमें डिपॉजिट होने वाली रकम का आंकड़ा सालाना आधार पर १०० अरब डॉलर के होने का अनुमान है। इसमें कहा गया है कि ऑफशोर गेमिंग, सट्टेबाजी और जुए के ऐप्स का प्रसार राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करता है।
वित्तीय अखंडता हो रही प्रभावित
रिपोर्ट के अनुसार, अवैध सट्टेबाजी कराने वाली कई साइटों और विदेशी संस्थाओं से जुड़े संबंध, जासूसी और डेटा उल्लंघनों के बारे में चिंताएं बढ़ाने वाला है। इसके अलावा इन ऑपरेटरों से जुड़े संदिग्ध लेन-देन का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए किया गया है, जिससे भारत की वित्तीय अखंडता प्रभावित हो रही है।
साइबर क्राइम में भी इजाफा 
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि अवैध सट्टेबाजी और जुआ से जुड़ी गतिविधियों की वजह से साइबर अपराधों में भी वृद्धि हुई है। इस तरह के तमाम प्लेटफॉर्म अक्सर अपने ऑपरेशन को छिपाने के लिए उच्च तकनीकों का उपयोग करते हैं, जिससे कि एजेंसियों के लिए साइबर अपराधों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करना या फिर इन्हें रोकना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
कैसे लगेगी रोक?
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पैसे से जुड़े खेलों में शामिल होने की अंतर्निहित मानवीय प्रवृत्ति को पहचानना जरूरी है। इस जुए के खेल पर पूरी तरह से पाबंदी प्रभावी नहीं हो सकती। इसके लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है, जिसमें रेग्युलेशन और निगरानी शामिल है।
ढाई लाख रुपए में बिक रहा ७५ करोड़ भारतीयों का डाटा
बताया जाता है कि डार्कवेब में करीब ७५ करोड़ भारतीयों का डाटा बिक रहा है। मदर ऑफ ऑल लीक (एमओएबी) कहे जा रहे इस डाटा लीक की ३२० करोड़ डाटा एंट्री हैं। १२ टेराबाइट (टीबी) के इस डाटासेट में से करीब १.८ टीबी में ७५ करोड़ भारतीयों के मोबाइल नंबर, घर का पता और आधार शामिल हैं। डार्कवेब पर भारतीय डाटा को बेचने का दावा करने वाले साइबोडेविल ने पूरे डाटा सेट के लिए ३,००० डॉलर यानी करीब २.५ लाख रुपए में देने का दावा किया है।

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