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मोदी-RSS में गहराई खाई!… अध्यक्ष पद पर समझौते को तैयार नहीं संघ

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव के बाद आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और पीएम मोदी के बीच खटास कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। अब पेंच भाजपा के अध्यक्ष को लेकर फंस गया है। संघ चाहता है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को तुरंत पद से हटाया जाए और उनकी जगह नया अध्यक्ष नियुक्त किया जाए। यह नया अध्यक्ष संघ अपने मन का चाहता है। उधर मोदी संघ को इस मामले में हावी नहीं होने देना चाहते हैं। ऐसे में मोदी और संघ के बीच की खाई और गहरी होती जा रही है।
बता दें कि मोदी जब से पीएम बने हैं तब से उन्होंने संघ को तवज्जो देना बंद कर दिया है। इस दौरान उन्होंने नागपुर की राय नहीं ली और न ही वहां कभी गए। हालिया चुनाव के शुरुआती झटकों के बाद मोदी को जब पता चला कि संघ के कार्यकर्ता निष्क्रिय हो गए हैं तो उनके हाथ-पांव फूल गए और वे संघ मुख्यालय पहुंच गए थे और सूत्र बताते हैं कि हार के डर से एक तरह से उन्होंने संघ के सामने घुटने टेक दिए थे।

संघ की बात मोदी को नहीं आ रही है रास!

नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने के बाद एक बार फिर से पुराने तेवर में लौटते नजर आ रहे हैं। उन्हें भाजपा के अध्यक्ष पद पर संघ की दखलंदाजी पसंद नहीं है। चुनाव के दौरान उन्होंने भले ही नागपुर के चक्कर लगाए और संघ के सामने घुटने टेके थे पर अब फिर से उनके तेवर कड़े हो गए हैं। संघ चाहता है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को जल्द से जल्द बदल दिया जाए और उसकी पसंद के शख्स को वहां बैठाया जाए पर मोदी को संघ की यह बात पसंद नहीं आ रही।
सूत्र बताते हैं कि संघ को नड्डा फूटी आंखों नहीं सुहा रहे हैं। इसका प्रमुख कारण संघ के खिलाफ नड्डा का वह बयान है जिसमें एक अखबार को दिए इंटरव्यू में नड्डा ने कहा था कि भाजपा अब काफी बड़ी हो गई है और अब असे संघ की जरूरत नहीं रही। नड्डा के इस बयान के बाद संघ तिलमिला गया था और तभी से संघ में उनके खिलाफ माहौल तेयार हो गया है। संघ के नेताओं का मानना है कि नड्डा की करतूतें भाजपा के साथ ही संघ की भी किरकिरी करा रही हैं। बताया जाता है कि नड्डा के नेतृत्व में ही महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी जैसी पार्टियां तोड़ी गईं। नड्डा में इतना ज्यादा गुरूर आ गया कि वे संवैधानिक मूल्यों का हनन करने से भी बाज नहीं आए और विपक्ष का दमन करने के लिए कुचक्र रचे गए। इससे संघ की भी बदनामी हुई। यही कारण है कि संघ किसी भी तरह से नड्डा को एक्सटेंशन देने के मूड में नहीं है। दूसरी तरफ मोदी में इतना ज्यादा अहंकार भरा हुआ है कि वे किसी की सुनते ही नहीं हैं। उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी पर ऐसा आदमी चाहिए जो उनकी हर बात पर हां में हां मिलाए। फिलहाल संघ के सर्किल में नए अध्यक्ष के लिए जिन नामों की चर्चा चल रही है, उनमें नितिन गडकरी और विनोद तावड़े प्रमुख हैं। इनमें भी गडकरी पहली पसंद बताए जा रहे हैं। भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोदी ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते। इसी बात को लेकर दोनों में तल्खी बढ़ती जा रही है। हाल ही में एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बिना नाम लिए मोदी पर कटाक्ष भी किया था। सूत्र बताते हैं कि तीन राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में जल्द ही चुनाव होनेवाले हैं। बिहार में भी समय से पूर्व चुनाव कराए जाने की सुगबुगाहट होने लगी है। इसलिए संघ चाहता है कि भाजपा का जो भी नया अध्यक्ष बने वह उसकी सहमति से बने। अब अगर अध्यक्ष पद का विवाद बढ़ता है तो एक बार फिर संघ इन विधानसभा चुनावों से अपना मुंह मोड़ सकता है, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

 

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