हिंदुस्थान में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु दर अन्य देशों की तुलना में २० से २५ प्रतिशत अधिक है। ऐसे में एंजाइना को रोकने के लिए `ऑप्टा’ योजना शुरू की गई है, जो हार्ट अटैक के झटके को टालने का काम करेगी। चिकित्सकों के मुताबिक, यह दिल का दौरा पड़ने से पहले की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित रोगियों को प्राथमिक उपचार प्रदान करने के लिए डॉक्टरों को निर्देशित किया जा रहा है। फिलहाल, इस उपक्रम को डॉक्टरों के संगठन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआई) ने शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि सीने में दर्द, चलने व सांस लेने में दिक्कत, शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द जैसी समस्याओं को नागरिक और डॉक्टर नजरअंदाज कर देते हैं। ये लक्षण एंजाइना के हैं, जो हृदय रोग से पहले होते हैं। इसे नजरअंदाज करने से दिल का दौरा पड़ता है। इसलिए पहली बार `एपीआई’ ने हृदय संबंधी खतरों को कम करने और मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए इसका शीघ्र पता लगाने के लिए एंजाइना सप्ताह का आयोजन किया है। एपीआई के महासचिव अगम वोरा ने बताया कि बीमारी का समय पर पता लगाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है।
`ऑप्टा’ है महत्वपूर्ण
दिल के दौरे के जोखिम को कम करने के साथ-साथ दवा पर अतिरिक्त लागत से बचने के लिए चल रहा `ऑप्टा’ उपक्रम महत्वपूर्ण है। इस `ऑप्टा’ में जांच सूची, प्रश्नावली और दृष्टिकोण इन तीन प्रक्रियाओं को एपीआई द्वारा विकसित किया गया है। एपीआई अध्यक्ष डॉ. मिलिंद नाडकर ने कहा है कि उचित क्रियान्वयन से एंजाइना और अन्य विकल्पों से दिल के दौरे को रोकना संभव होगा। एपीआई अध्यक्ष ने कहा कि इस उपक्रम के बारे में जागरूकता पैदा करने के साथ ही डॉक्टरों और दिल के दौरे के विशेषज्ञों के माध्यम से अधिक कुशलता से लागू किया जाएगा।’