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बेस्ट के कर्ज का बोझ मुंबईकरों पर डालने की तैयारी …०२ से ०३ रुपए बढ़ेगा किराया

०६ हजार करोड़ के कर्ज से दबा है बेस्ट प्रशासन

सामना संवाददाता / मुंबई
आर्थिक संकट से जूझ रहे बेस्ट बस प्रशासन ने मुंबई मनपा से १,४०० करोड़ रुपए की मांग की है। कुछ दिन पहले इस संबंध में मनपा और बेस्ट प्रशासन के अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी। बेस्ट पर इस वक्त करीब ६ हजार करोड़ का कर्ज है। अनुमान है कि बेस्ट पर कर्ज का बोझ अब मुंबईकरों पर पड़ेगा। ऐसे में बेस्ट बसों के टिकट के दाम बढ़ने की बात कही जा रही है। बेस्ट प्रशासन के लिए इस कर्ज का बोझ उतारना मुश्किल हो गया है। बेस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुंबई मनपा ने पिछले बजट में हमें सहायता देने की घोषणा की थी। इसके अलावा हमने १,४०० करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता मांगी है।
बेस्ट के लिए २०२४-२५ के बजट में मनपा द्वारा ८०० करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। इस मदद से बेस्ट पहले बसों के पुर्जे खरीदने, बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, ऋण चुकाने और वेतन का भुगतान करने में सक्षम हुई।
हर बार मनपा से मदद मांगने के बजाय अन्य विकल्पों का उपयोग करके धन इकट्ठा करने की सलाह दी गई है। एक अधिकारी ने कहा कि मुंबई सिटी काउंसिल ने पहले भी बेस्ट की मदद की है, लेकिन अब मनपा का कहना है कि बेस्ट को अन्य विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए। अधिकारी ने कहा कि अब टिकट की कीमत बढ़ाना ही एकमात्र विकल्प बचा है और मनपा ने यह भी कहा कि किराया बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए। फिलहाल, मुंबई में एसी बस के लिए टिकट की न्यूनतम कीमत ६ रुपए और सामान्य बस के लिए ५ रुपए है। पिछले पांच वर्षों से यही दरें हैं, लेकिन अब दरें २ से ३ रुपए तक बढ़ने की संभावना है। मार्च महीने में ही बेस्ट ने इस संबंध में संकेत दे दिया था। दैनिक, साप्ताहिक और मासिक पास भी बढ़ाए गए। अनलिमिटेड पास की कीमत भी ७५० रुपए से बढ़ाकर ९०० रुपए कर दी गई है। डिपो से सहायता फंड जुटाने के लिए बेस्ट ने अपने २६ डिपो में कुछ बदलाव करने का पैâसला किया है। इसके लिए इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) की मदद ली जा रही है। बेस्ट का इरादा व्यावसायिक तरीके से डिपो का उपयोग करके धन जुटाने का है। यह पहल डिपो को आधुनिक बनाने और वहां बेहतर सुविधाएं प्रदान करने पर केंद्रित है। फिलहाल, इसके लिए डिंडोशी, वडाला और देवनार डिपो को चुना गया है।

बेस्ट के पास अब पट्टे वाली बसों की तुलना में स्व-स्वामित्व वाली बसों की संख्या कम है। बेस्ट के पास ३,३३७ बसें हैं। फिलहाल कुल ३,०५० ही कार्यरत हैं। व्यस्त समय में लोगों को बसें नहीं मिलतीं। बिजली कटौती और केबल फॉल्ट से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बेस्ट की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रही है। कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड जुटाना होगा। ऐसे मामले में मुंबई मनपा में बेस्ट को समायोजित करना ही एकमात्र समाधान है।
-शशांक राव, बेस्ट वर्कर्स यूनियन

 

 

 

 

 

 

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