देश की शिक्षा प्रणाली को लेकर उठे सवाल
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देशभर में होने वाली कई परीक्षाएं पेपर लीक की भेंट चढ़ चुकी हैं। बताया जा रहा है कि १५ राज्यों में करीब ४५ परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। इसकी वजह से लगभग १.४ करोड़ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। बताया जाता है कि पेपर लीक मामले में राजस्थान सबसे आगे है। जिस तरह से एक के बाद एक पेपर लीक हो रहे हैं और परीक्षाएं रद्द हो रही है, उससे देश की शिक्षा प्रणाली को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
यूपी में आधा दर्जन से अधिक पेपर हुए लीक
नीट २०२४ का पेपर लीक हुआ है, साथ ही रिजल्ट जारी करने में गड़बड़ करने के आरोप भी लगे हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी कटघरे में हैं। पेपर लीक कराने वाले गिरोह पकड़े जा रहे हैं। ३०-३० लाख लेकर पेपर बेचने के सुराग पुलिस के हाथ लगे हैं। ६७ बच्चों के ७२० में से ७२० नंबर देखकर सवाल उठाए गए। इसके अलावा नीट यूजी परीक्षा का पेपर साल २०२१ में लीक हुआ था। इसमें आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को पकड़ा गया था। अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो बीते सालों में आरओ, एआरओ पेपर लीक, कॉलेज प्रवेश परीक्षा पेपर लीक, पीईटी परीक्षा का पेपर लीक, यूपीटीईटी, ट्यूबवेल ड्राइवर टेस्ट लीक सितंबर, यूपीपीसीएल पेपर लीक हुआ है। बिहार में भी एक अक्टूबर २०२३ को हुई सिपाही बहाली परीक्षा का प्रश्न-पत्र परीक्षा से पहले वायरल हो गया था। इसके अलावा झारखंड में भी जूनियर इंजीनियर परीक्षा का पेपर लीक होने का मामला सामने आया था। पेपर लीक के कारण परीक्षा रद्द हो गई थीं।
बड़ी मछलियों पर कार्रवाई नहीं
दुखद बात यह है कि मध्य प्रदेश से लेकर बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर तक में पेपर लीक का ये भूत जिंदा है। एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले ५ साल में देश के १५ राज्यों में हुई ४५ परीक्षाएं पेपर लीक का शिकार हुर्इं, जिसके बाद करीब १.४ करोड़ परीक्षार्थी के भविष्य पर प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया। पिछले कुछ सालों में वैâसे स्कूल से लेकर तमाम तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक ने देश के एजुकेशन सिस्टम में सड़ांध पैâला दी है। हैरानी की बात यह है कि इतना सब होते हुए भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती है।