गजेंद्र भंडारी
लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद बीजेपी की राजस्थान इकाई में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अंदरूनी कलह का ताजा उदाहरण पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का एक बयान है। रविवार को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा था कि ‘वफादारी का वह दौर अलग था जब राजनीति में आगे बढ़ाने वाले का सम्मान किया जाता था और हमेशा उसका साथ दिया जाता था। लेकिन आज ऐसा नहीं होता। आज लोग उसी की उंगली काटने की कोशिश करते हैं जिसे पकड़कर वे चलना सीखते हैं।’ उनकी इस टिप्पणी पर अब काफी चर्चा शुरू हो चुकी है और अलग-अलग तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक जानकार वसुंधरा राजे के बयान को भाजपा आलाकमान और राज्य के पार्टी नेताओं की आलोचना के तौर पर देख रहे हैं। वसुंधरा राजे लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी का एक बड़ा चेहरा होने के बावजूद प्रचार के लिए मैदान में नहीं दिखाई दी थीं। इससे पहले प्रदेश में पार्टी की सरकार बनने के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे आगे था, लेकिन उनकी जगह भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। यह भी उनकी नाराजगी का कारण हो सकता है। कुछ का मानना है कि राजे की टिप्पणी राज्य सरकार के भीतर के लोगों पर थी, जिसमें डिप्टी सीएम दीया कुमारी और मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर उनके निशाने पर थे।
जब पूर्व सीएम से मिले सीएम शर्मा
सीएम भजनलाल शर्मा ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की है। दोनों नेताओं ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया एक्स पर दी है। इस मुलाकात की तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसके बाद चर्चा इस बात की भी है कि दोनों नेताओं के बीच आपस में क्या बातचीत हुई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया एक्स पर मुलाकात की जानकारी देते हुए यह भी बता दिया है कि दोनों के बीच क्या बात हुई। गहलोत ने लिखा, ‘आज मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान जोधपुर के सूरसागर में हुई सांप्रदायिक घटना को लेकर चिंता व्यक्त की एवं आगे पूर्णतया शांति स्थापित हो इसके लिए कदम उठाने का निवेदन किया। इसके साथ ही, जयपुर के सेंट्रल पार्क में स्थित गांधी वाटिका म्यूजियम को जल्द से जल्द आमजन के लिए खोलने के संबंध में चर्चा हुई। दरअसल, अशोक गहलोत स्लिप डिस्क की समस्या से जूझ रहे हैं। इस वजह से वह अपने आवास पर बेड रेस्ट पर हैं। वह जब लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए पंजाब गए थे, तब स्लिप डिस्क की शिकायत के चलते वह चंडीगढ़ से वापस जयपुर लौट आए थे।
जब ट्रैक्टर से संसद पहुंचे अमराराम
सीकर के सांसद अमराराम का संसद भवन तक ट्रैक्टर से पहुंचना एक जबरदस्त चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछली सरकार ने किसानों की आवाज को दबाने के लिए उनका ट्रैक्टर रोक दिया था। अब वही ट्रैक्टर उनकी आवाज को और बुलंद करने का माध्यम बनेगा। इस अनोखी एंट्री ने सोशल मीडिया पर खूब धूम मचा दी है और अमराराम का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। दिल्ली में सोमवार से १८वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू हुआ। इस मौके पर राजस्थान के सांसदों की गतिविधियों ने सबका ध्यान आकर्षित किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता अमराराम ने संसद भवन तक पहुंचने के लिए ट्रैक्टर का उपयोग किया। उन्होंने साफ-साफ कहा कि यह ट्रैक्टर अब किसानों की आवाज को संसद तक पहुंचाने का एक प्रतीक बन गया है। इसके अलावा, बाड़मेर के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने संसद भवन की सीढ़ियों को नमन कर अंदर प्रवेश किया। उनके हाथ में ‘भारत का संविधान’ था, जो संविधान के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।