अजय भट्टाचार्य
गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा में असंतोष अब खुलकर सामने आ गया है। पहले पार्टी के सदस्य कानाफूसी में अपनी नाराजगी जाहिर करते थे, लेकिन अब सब कुछ खुलकर सामने आ गया है। पिछले सप्ताह कांग्रेस से अलग हुए माणावदर के पूर्व विधायक जवाहर चावड़ा ने अपने फेसबुक वॉल से भाजपा का चिह्न हटा दिया। उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि भाजपा की सफलता का श्रेय उसके कार्यकर्ताओं को जाता है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पोरबंदर सीट से जीते सांसद मनसुख मंडाविया और चावड़ा ने एक-दूसरे के खिलाफ टिप्पणियां की थीं। सूत्रों का कहना है कि चावड़ा के कांग्रेस में वापस लौटने (‘घर वापसी’) की संभावना है। वडोदरा, राजकोट, जूनागढ़, बनासकांठा, आनंद और भरूच ऐसी लंबी सूची में शामिल हैं, जहां भाजपा के अंत:पुर में भीषण घमासान चल रहा है। जहां तक नाराजगी का सवाल है तो अंदर की खबर यह है कि गुजरात भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सी आर पाटील को जल शक्ति मंत्रालय दिया गया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि उन्हें कपड़ा मंत्रालय मिलने की उम्मीद थी, लेकिन नॉन बायोलॉजिकल अवतारी महापुरुष ने उनके लिए जल विभाग चुना। वे हर घर में नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए केंद्र की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन की देखरेख करेंगे। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में इस योजना में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। अवतारीलाल ने अपने चुनावी भाषणों में इस मुद्दे को उठाया भी था। अब पाटील की समस्या यह है कि इस योजना में भ्रष्टाचार को उजागर वैâसे करें।
मीरा (पुर) माया
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मीरापुर विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव राजनीति की नई प्रयोगशाला बनने वाला है। लोकसभा चुनाव में सिफर पर आकर टिक गई पार्टी की मुखिया बहनजी एक्टिव हुई हैं और अब तक उपचुनाव से दूर रहने वाली उनकी पार्टी मीरापुर में उतर सकती है। अगर ऐसा होता है तो रालोद सुप्रीमो और केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत चौधरी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का खेल बिगड़ सकता है। बहनजी ने वहां प्रत्याशी भी तय कर लिया है। अपने भतीजे को राष्ट्रीय संयोजक बनाना भी इसी बड़ी रणनीति का हिस्सा है। चर्चा तो यह भी है कि बहनजी उन सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार सकती हैं जहां उपचुनाव होने हैं। मीरापुर का अखाडा इसलिए चर्चा में है क्योंकि इंडिया गठबंधन अपना प्रत्याशी उतारकर रालोद के साथ दो दो हाथ करेगा। दिलचस्प यह है कि आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद भी यहां प्रत्याशी उतारने जा रहे हैं। २०२२ के विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन में मीरापुर सीट पर रालोद के चंदन चौहान चुनाव जीते थे। लोकसभा चुनाव में जयंत चौधरी ने चंदन चौहान को प्रत्याशी घोषित किया और चंदन संसद पहुंच गए। अब खाली हुई मीरापुर सीट पर कब्जा बरकरार रखना जयंत के लिए चुनौती है। इस बार उनका भाजपा के साथ गठबंधन है। मीरापुर मुजफ्फरनगर जिले की इस सीट में बिजनौर लोकसभा सीट का हिस्सा शामिल है। लोकसभा चुनाव में राजग के चंदन चौहान चुनाव जीते पर सपा के दीपक सैनी दूसरे और बसपा के चौधरी विजेंद्र सिंह तीसरे नंबर पर रहे। मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में रालोद को ७२ हजार , सपा को ६३ हजार और बसपा को ५५ हजार वोट मिले। मीरापुर में ५५ हजार वोट मिलना लखनऊ तक बड़ा संदेश दे गया। बहनजी को लगता है कि मीरापुर में थोड़ी सी मेहनत और कर ली गई तो यहां से उनका विधायक बन जाएगा। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बहनजी जैसे ही उपचुनाव लड़ने की घोषणा करेंगी तो त्रिकोणीय मुकाबला होगा। उनके इस कदम को २०२७ की तैयारियों के रूप में देखा जा रहा है। उपचुनाव में बसपा कुछ बड़ा करने और २०२७ की पिच मजबूत करने का सपना लेकर उतरेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)