संघ, नायडू और नीतीश की तिकड़ी से निपटना नहीं आसान
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
प्रधानमंत्री की निरंकुशता ने विपक्ष से तो उनकी दूरी बढ़ा ही दी है, खुद भाजपा में भी मोदी विरोधी नेताओं की एक फौज तैयार होती जा रही है। मोदी की सबसे बड़ी कमी है कि वे हर काम का पैâसला अकेले लेना चाहते हैं। दूसरों की राय उनके लिए मायने नहीं रखती है। मगर इस बार राह आसान नहीं है। बताया जाता है कि बीजेपी के भीतर जो मोदी विरोधी खेमा तैयार हो रहा है, उसे संघ का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में आनेवाले दिनों में मोदी की मुश्किलें बढ़नेवाली हैं।
इस बार मोदी अपने बलबूते सरकार बना पाने में असफल रहे हैं। वे अकेले बहुमत नहीं जुटा पाए और उन्हें सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। ऐसे में मोदी की बॉडी लैंग्वेज बदल गई है। सत्ता के करीबी सूत्रों के अनुसार, मोदी ऊपर से भले ही खुश नजर आ रहे हों पर अंदर से वे हिले हुए हैं। इसका कारण है तीन बड़े चेक वॉल्व। ये हैं संघ, नायडू और नीतीश कुमार। असल में पीएम बनने के बाद गत १० वर्षों में मोदी ने संघ को बिल्कुल भाव नहीं दिया और उसकी उपेक्षा की। इससे संघ के नेता तिलमिलाए हुए हैं और कुछ हालिया बयानों में उनकी चिढ़ भी सार्वजनिक हो चुकी है। यही वजह है कि मोदी खुद को बदलने का दिखावा कर रहे हैं। इसका नजारा तब देखने को मिला जब वे एनडीए के दोनों प्रमुख सहयोगियों चंद्राबाबू नायडू और नीतीश कुमार के साथ कुछ ज्यादा ही चिपकते नजर आए। पहले इन्हीं नेताओं से वे एक निश्चित दूरी बनाकर रखते थे। सूत्र बताते हैं कि मोदी को बाहर से ज्यादा पार्टी के भीतर अपने विरोधी नेताओं का भी डर सता रहा है, जो कभी भी खेला कर सकते हैं। सीएम की कुर्सी जाने के बाद केंद्र में शिवराज सिंह चौहान को भले ही मंत्री पद मिल गया है, पर उनके नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में क्लीन स्वीप किया था, उसे वे भूले नहीं हैं। इसके बावजूद उनकी सीएम की कुर्सी छीन ली गई। राजस्थान में वसुंधरा राजे ने भी लोकसभा चुनाव में अपना अहसास करा दिया है। वहां भाजपा को काफी डैमेज हुआ है। इसी तरह नितिन गडकरी भी काफी योग्य व्यक्ति हैं और उन्हें पीएम मटेरियल माना जाता है, पर मोदी ने उन्हें भी दबाकर रखा है। छत्तीसगढ़ में रमण सिंह भी मोदी से खार खाए बैठे हैं। यूपी जैसे राज्य में भाजपा को मजबूत करने में योगी आदित्यनाथ का प्रमुख योगदान है। पर जिस तरह से योगी के साथ सौतेला व्यवहार करने के साथ ही उन्हें पद से हटाने की साजिश चल रही है, उससे योगी बखूबी वाकिफ हैं। सुब्रह्मण्यम स्वामी तो पूरी तरह से साइडलाइन किए जा चुके हैं पर वे मोदी पर जुबानी हमले करते रहते हैं। इसी तरह सुमित्रा महाजन, वेंवैâया नायडू, संजय जोशी और येदियुरप्पा जैसे नेता भले ही सुस्त पड़े हुए हैं पर मौका मिलते ही वे मोदी के विरोध में खुलकर खड़े हो जाएंगे। इसके अलावा जिस तरह से वरुण गांधी का टिकट काटकर उनका राजनीतिक करियर खत्म करने की साजिश हुई है, उससे मन ही मन वे भी काफी खार खाए बैठे हैं और वक्त आने पर मोर्चा खोले बिना नहीं मानेंगे। ऐसे में मोदी के लिए आगे की राह बहुत आसान नहीं है।
आ मोदी के गले लग जा
पहले के दोनों शपथग्रहण समारोह में मोदी ने किसी को भाव नहीं दिया था, पर इस बार छोटी पार्टियों के नेताओं से भी गले मिल रहे हैं। इससे साबित होता है कि वे तीसरी पारी में कितना डरे हुए हैं।