विमल मिश्र
मुंबई
आसमान का आलिंगन करते पहाड़, जगह-जगह झरते जल प्रपात एवं झरने और लुका-छुपी खेलतो हुए बिलकुल नीचे उतर आए बादल। बरसात का मौसम है और मालशेज घाट में होने का सबसे सही वक्त।
मुंबई या ठाणे से पुणे या अहमदनगर की ओर जा रहे हों तो एक बार सह्याद्रि पर्वत के मालशेज घाट के घुमावदार रास्तों को जरूर नापिए। खासकर तब, जब बरसात का मौसम हो। आकाश का आलिंगन करते पहाड़, नेशनल हाइवे के बीचों-बीच झरते जल प्रपात व झरने, कोहरा और लुका-छुपी खेलते हुए बिलकुल नीचे उतर आए बादल। ठिठुराती बूंदा-बांदी में चाय के साथ गरमा-गरम भजिया और भुट्टे आपका आनंद दोगुना कर देंगे।
मुंबई का अपना हिल स्टेशन
मुंबई से १३०, कल्याण से करीब ८५ और पुणे से १२० किलोमीटर दूर समुद्र तल से ७०० मीटर की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट की गोद में बैठा ठाणे का मालशेज घाट मुंबई का अपना हिल स्टेशन है, वैसे ही जैसे खंडाला-लोनावला और माथेरान। दरअसल, यहां उनसे भी ज्यादा दर्शनीय स्थान हैं। पांच किलोमीटर लंबा पिंपलगांव जोगा बांध, जहां के पक्षी विहार में आप फ्लेमिंगो के साथ कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों को देख सकते हैं। आजोबा पहाड़ी के किले और पास की दारकोबा चोटी, जहां आप ट्रैकिंग और रॉक क्लाइंबिंग का आनंद ले सकते हैं। हरिश्चंद्रगढ़ किले और पास का चट्टानी सैरगाह कोकम काड़ा। पर, यहां मस्ती करते हुए सावधानी का साथ कभी मत छोड़िए। वजह है यहां होनेवाली दुर्घटनाएं। करीब १,००० वाहन रोज इन रास्तों से गुजरते हैं, जिनमें आठ किलोमीटर का मार्ग खास तौर पर खराब है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा पिछले १० वर्षों में १५० करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने के बावजूद बारिश में भूस्खलन और पहाड़ों से पत्थर गिरने की दुर्घटनाओं में जान-माल के नुकसान के साथ कई-कई दिन तक इस मार्ग को बंद करने की नौबत आई है।
विश्व में निराला स्काईवॉक
पर्यटन को बढ़ाने के लिए इन दिनों यहां २६६ करोड़ रुपए की परियोजना पर काम चल रहा है। इसमें वन विभाग परिसर के पांच एकड़ क्षेत्र में एस्केलेटर युक्त ‘ध्’ आकार का ग्लास स्काईवॉक बनाना शामिल है। विश्व में अपने किस्म का अकेला ऐसा स्काईवॉक। हाल में मंजूर इस परियोजना के तहत यहां हेलिपैड के साथ म्यूजियम, कॉफी शॉप, वेटिंग लाउंज, सेल्फी पाइंट, एंफी थिएटर, स्काई डोम, सिक्स-डी शो, गजीबों, जिप लाइन, कला और प्रदर्शनी दीर्घाएं, ओपन एयर व्यू पाइंट बनाए जाने हैं। नौकायन, फिशिंग और गुफा भ्रमण सुविधाओं के साथ पर्यटक यहां बंजी जंपिंग,पैरा ग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलून से सैर का भी आनंद उठा सकेंगे। यहां छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा भी स्थापित की जाने वाली है।
यह परियोजना निजी सहयोग से लागू की जाएगी, जिसमें एक-चौथाई हिस्सेदारी महाराष्ट्र सरकार की होगी। इसमें राज्य सरकार के पर्यटन व सार्वजनिक निर्माण विभाग के साथ सहयोग देगा राष्ट्रीय राजमार्ग डिवीजन। योजना पूर्ण होने के एक वर्ष के भीतर यहां १० लाख और १० वर्ष के भीतर २० लाख से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने का लक्ष्य है।
(लेखक ‘नवभारत टाइम्स’ के पूर्व नगर संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं।)