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राहुल के खिलाफ मोदी ब्रिगेड … कारगर नुस्खे ही करने लगे हैं बैकफायर

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
जनता जब मैंडेट देती है तो बेशुमार ताकत आ ही जाती है। राहुल गांधी भले ही अखिलेश यादव सहित विपक्ष के नेताओं को साथ लेकर ‘इंडिया गठबंधन’ को सत्ता न दिला पाए हों, लेकिन इतनी राजनीतिक एनर्जी तो हासिल कर ही ली है कि सड़क से संसद तक मजबूती से मैदान में डटे रहे।
हो सकता है कि राहुल गांधी के ताजा आक्रामक रुख को बीजेपी नेतृत्व नई लांचिंग करार दे, लेकिन विपक्ष के नेता का तेवर बीजेपी के लिए बर्दाश्त के बाहर होने लगा है और मोदी-शाह से लेकर बीजेपी के तमाम बड़े-बड़े दिग्गजों के लिए राहुल गांधी को रोक पाना काफी मुश्किल हो रहा है।
लगातार १० साल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के हमलावर रुख ने कांग्रेस नेतृत्व के लिए चैन की सांस ले पाना भी मुश्किल होने लगा था, लेकिन लोकसभा चुनाव २०२४ के नतीजों की बदौलत तो लगता है बीजेपी का कांग्रेस मुक्त अभियान ही औंधे मुंह लुढ़क गया है। खास बात यह है कि कांग्रेस की नई रणनीति में राहुल गांधी और उनके साथियों के निशाने पर बीजेपी के वही एजेंडे हैं, जिनकी बदौलत केंद्र में सत्ताधारी पार्टी अब तक ज्यादातर चुनाव जीतती रही है और लगातार हार की वजह से विपक्ष हाशिए की तरफ फिसलता जा रहा था, लेकिन लोगों ने इस बार चुनाव में विपक्ष को हवा का रुख बदलने की ताकत से नवाज दिया और राहुल गांधी, अखिलेश यादव से लेकर महुआ मोइत्रा तक मौके का भरपूर फायदा उठा रहे हैं।
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान तो राहुल गांधी ऐसे तरन्नुम में नजर आए कि सत्ता पक्ष को कुछ सूझ ही नहीं रहा था। राहुल गांधी के निशाने पर तो हमेशा की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नजर आ रहे थे, लेकिन उनके बहाने ही वो स्पीकर ओम बिरला को भी नहीं बख्श रहे थे। स्पीकर ओम बिरला पर माइक बंद करने को लेकर सवाल पूछने से लेकर मोदी के सामने झुकने तक पर सवाल दाग रहे थे। असल में बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे की धार अयोध्या की हार ने कुंद कर दी है। यही वजह है कि राहुल गांधी हद से ज्यादा आक्रामक हो गए हैं और बीजेपी नेतृत्व के लिए आसानी से काउंटर करना मुश्किल हो रहा है।
कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी का राष्ट्रवाद
जैसे हिंदुत्व में कांग्रेस ने विपक्ष को साथ लेकर अयोध्या के जरिए सेंधमारी कर ली है, ठीक वैसे ही ‘अग्निवीर’ स्कीम को भी निशाने पर ले लिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान ‘अग्निवीर’ योजना को मुद्दा बनाने में सफल रहा ‘इंडिया गठबंधन’ अब उसे भुनाने की भरपूर कोशिश कर रहा है। चुनावों के दौरान राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक अपनी रैलियों में कह रहे थे कि सत्ता में आने पर वे ‘अग्निवीर’ योजना खत्म कर देंगे। जो बीजेपी राष्ट्रवाद के नाम पर कांग्रेस को कभी भी तपाक से कठघरे में खड़ा कर दिया करती थी, वही बीजेपी नेता राहुल गांधी को ‘अग्निवीर’ के नाम पर चुप कराने के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। २०१४ में कांग्रेस के सत्ता से बाहर होने सबसे बड़ी भूमिका भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे की रही। यूपीए २ के आखिरी दौर में अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे को आगे करके रामलीला मैदान में आंदोलन खड़ा किया और लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उसका पूरा फायदा उठा लिया। तब से लेकर २०२४ के आम चुनाव तक बीजेपी कांग्रेस और साथियों को भ्रष्टाचारी बताकर धावा बोलती रही। राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेशनल हेराल्ड केस में जमानत पर होने और ईडी की पूछताछ से लेकर अरविंद केजरीवाल को जेल भेजे जाने तक, ऐसे सभी मामलों को बीजेपी चोरों के खिलाफ मोदी सरकार के एक्शन के रूप में प्रोजेक्ट करती रही है।

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