-यह चुनिंदा ढंग से की गई कार्रवाई है, जो तर्कसंगत नहीं
-फिर से कार्यवाही के रिकॉर्ड में शामिल किया जाए
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सदन में दिए अपने भाषण के कुछ हिस्सों को सदन की कार्यवाही से निकाले जाने पर कल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में कहा कि यह चुनिंदा ढंग से की गई कार्रवाई है, जो तर्कसंगत नहीं है। रायबरेली सांसद ने बिरला से आग्रह किया कि उनके भाषण से हटाए गए अंश को फिर से कार्यवाही के रिकॉर्ड में शामिल किया जाए।
राहुल गांधी ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर देश में सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया था, जिस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार तरीके से विरोध जताया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना बहुत गंभीर विषय है। राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा था कि हिंदू कभी हिंसा नहीं कर सकता, कभी नफरत और डर नहीं पैâला सकता। उनके भाषण के कुछ अंश आसन के निर्देशानुसार सदन की कार्यवाही से हटा दिए गए। उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा है, यह देखकर स्तब्ध हूं कि किस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को कार्यवाही से हटा दिया गया है। मेरी टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाना संसदीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
बिरला को लिखे अपने पत्र में राहुल गांधी ने कहा कि सभापति को सदन की कार्यवाही से कुछ टिप्पणियों को हटाने की शक्तियां प्राप्त हैं, लेकिन यह केवल उन शब्दों के लिए है, जिनकी प्रकृति प्रक्रिया और आचरण के नियमों के नियम ३८० में निर्दिष्ट की गई है। उन्होंने कहा, ‘मैं यह देखकर स्तब्ध हूं कि किस तरह से मेरे भाषण के काफी हिस्से को कार्यवाही से हटा दिया गया है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा, ‘मैं यह कहने के लिए बाध्य हूं कि हटाए गए हिस्से नियम ३८० के दायरे में नहीं आते हैं। मैंने सदन में जो कहना चाहा, वह जमीनी हकीकत और तथ्यात्मक स्थिति है। सदन का प्रत्येक सदस्य जो लोगों की सामूहिक आवाज का प्रतिनिधित्व करता है, उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद १०५(१) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हासिल है।
लोगों की चिंताओं को सदन में उठाना प्रत्येक सदस्य का अधिकार है। राहुल गांधी का कहना था, ‘देश के लोगों के प्रति अपने दायित्वों का पालन करते हुए मैं कल इस अधिकार का उपयोग कर रहा था। मेरी सुविचारित टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है।
-राहुल गांधी, विपक्ष के नेता