-सरकार सप्लाई में कर रही अनदेखी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
केंद्र में मोदी और राज्य में शिंदे सरकार के माध्यम से चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के दावे बहुत किए जाते रहे हैं। फिर भी यह जानकर हैरानी होगी कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में मनपा के केईएम अस्पताल और एमएमआर के कई डे-केयर सेंटरों में हीमोफीलिया के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए जरूरी पैâक्टर इंजेक्शन की भारी किल्लत है, इसलिए जरूरतमंद मरीज की जिंदगी न केवल दांव पर है, बल्कि कई मामलों में मरीजों को यह इंजेक्शन बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है। फिलहाल, केईएम और डे केयर सेंटरों में पैâक्टर की भले ही जोरदार डिमांड है, लेकिन केंद्र की मोदी और राज्य की शिंदे सरकार इसकी सप्लाई को लेकर गंभीर नहीं है और इसकी अनदेखी कर रही है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में हीमोफीलिया के मरीजों के इलाज के लिए सभी ३६ जिलों में डे केयर सेंटर (केंद्र) सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। फिलहाल मुंबई, ठाणे, नागपुर सहित नौ जिलों में डे केयर सेंटर उपलब्ध हैं। दूसरी तरफ राज्य के २७ जिलों में डे केयर सेंटर स्थापित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। जानकारी के अनुसार, राज्य के नौ जिलों में हीमोफीलिया के ५,९६२ मरीज है। दूसरी तरफ हीमोफीलिया मरीजों के इलाज की सुविधा के लिए केंद्र सरकार से हर साल करोड़ों रुपए निधि प्राप्त होती है। इस निधि से हीमोफीलिया मरीजों के रक्त के कारक ८ और ९ के लिए पर्याप्त इंजेक्शन उपलब्ध कराया जाता है, जबकि रक्त के कारक ७ के लिए इंजेक्शन खरीदना पड़ता है।
इन अस्पतालों में इलाज की सुविधा
प्रदेश में हीमोफीलिया की बीमारी के इलाज की सुविधा फिलहाल नौ जिलों में है। मुंबई के केईएम अस्पताल, नागपुर के डागा स्मृति अस्पताल, पुणे के बी जे चिकित्सा महाविद्यालय में हीमोफीलिया के मरीजों के इलाज की सुविधा है। इसके साथ ही ठाणे, छत्रपति संभाजीनगर, अमरावती, नासिक, नगर और सातारा जिले के अस्पताल में भी उपचार की व्यवस्था है।
इतनी है कीमत
हिमोफीलिया के इंजेक्शन की कीमत करीब ४७,००० रुपए है। यदि मरीज को एक दिन में तीन एमजी के इंजेक्शन की जरूरत हो तो १,४०,००० रुपए का खर्च बैठता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण हेल्थ मिशन से बिगड़ी आपूर्ति
मनपा के एक अधिकारी के मुताबिक, केईएम में जिस समय हीमोफीलिया मरीजों का इलाज शुरू हुआ था, उस समय केवल इसके ३५० मरीज पंजीकृत हुए थे, लेकिन अब ये बढ़कर १,५०० तक पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस बीमारी के करीब २० हजार रोगी होंगे, जिसमें से पांच फीसदी मुंबई में हैं। फिलहाल, केईएम में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, यूपी आदि राज्यों से भी इलाज कराने के लिए मरीज यहां पहुंच रहे हैं।