सामना संवाददाता / नई दिल्ली
जब से मोदी सरकार ने ‘गब्बर सिंह टैक्स’ लागू किया है, देश में हाहाकार मचा हुआ है। जीएसटी को ही आम बोलचाल की भाषा में गब्बर सिंह टैक्स कहा जाता है। जीएसटी का सबसे बुरा प्रभाव छोटे व मझोले उद्योगों पर पड़ा है और वे बेजार हो गए, जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ा है। हाल ही में आई एक रिपार्ट के अनुसार इस दौरान १५ लाख से ज्यादा लघु व मध्यम दर्जे के उद्योग बंद हो गए। उद्योग-धंधों के चौपट हो जाने से लाखों गरीब मजदूर बेकार हो गए। मगर इसके बावजूद गत महीने १.७४ लाख करोड़ रुपए का टैक्स संग्रह हुआ है।
बता दें कि गत जून महीने में कुल जीएसटी प्राप्तियां ७.७ फीसदी बढ़कर १.७४ लाख करोड़ रुपए हो गईं। हालांकि, अप्रैल और मई की तुलना में जीएसटी संग्रह की सालाना वृद्धि में थोड़ी कमी आई है। अप्रैल में जीएसटी संग्रह १२.४ फीसदी और मई में १० फीसदी बढ़ा था। जून में मई की तुलना में भी जीएसटी संग्रह की वृद्धि सपाट रही।
सरकारी खजाने में इस साल हुई … रु. ५.५७ लाख करोड़ की बारिश!
देश में जब से जीएसटी लागू हुआ है, लाखों उद्योग-धंधे बंद हो चुके हैं। इसका सबसे ज्यादा असर गरीब व मध्यम वर्ग पर पड़ा है। इससे सिर्फ सरकार को फायदा हो रहा है और उसका टैक्स कलेक्शन बढ़ रहा है। गत जून में १.७४ लाख करोड़ का जीएसटी कलेक्शन हुआ है। बता दें कि इसके पूर्व मई में १.७३ लाख करोड़ रुपए का जीएसटी मिला था और अप्रैल २०२३ में सबसे ज्यादा १.८७ लाख करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रह हुआ था। चालू वित्त वर्ष में सरकारी खजाने में अब तक ५.५७ लाख करोड़ रुपए की बारिश हो चुकी है।
जून के कलेक्शन के बारे में एक अधिकारी ने कहा, ‘जीएसटी संग्रह की वृद्धि पिछले महीनों की तरह नहीं रही और इसके पीछे कई कारण हैं। मगर जीएसटी प्राप्तियों में आने वाले महीनों में भी बढ़ोतरी जारी रहेगी और सकल जीएसटी संग्रह १.६ लाख करोड़ रुपए से ऊपर बना रह सकता है।’ इस बारे में केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी संग्रह के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन समझा जाता है कि कुल १.७४ लाख करोड़ रुपए के जीएसटी संग्रह में केंद्रीय जीएसटी ३९,५८६ करोड़ रुपए और राज्य जीएसटी प्राप्तियां ३३,५४८ करोड़ रुपए रही। यह संयोग ही है कि जून महीने के जीएसटी संग्रह के आंकड़े इस नई कर व्यवस्था के देश में लागू होने की ७वीं वर्षगांठ पर आए हैं। वित्त मंत्रालय ने अब से कर संग्रह के विस्तृत आंकड़े जारी नहीं करने का निर्णय किया है। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘जीएसटी व्यवस्था में व्यापक तौर पर स्थायित्व आया है और विस्तृत आंकड़े जारी नहीं करने के पीछे यह एक वजह रही होगी।’ पीडब्ल्यूसी इंडिया में पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा, ‘जून में जीएसटी संग्रह में वृद्धि मई की तुलना में कम प्रतीत होती है मगर पिछले कुछ महीनों से कुल जीएसटी प्राप्तियां उत्साहजनक रही हैं।’