सामना संवाददाता / मुंबई
बारबाडोस में टी-२० वर्ल्ड कप का फाइनल जीतने के बाद टीम इंडिया का कल शाम मुंबई में जोरदार स्वागत किया गया। नरीमन प्वांइट से वानखेडे स्टेडियम तक टीम इंडिया की ‘विक्ट्री परेड’ निकाली गई। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए लाखों मुंबईकर कल शाम मरीन ड्राइव पर उमड़ पड़े थे, जबकि वहां पर पुलिस प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जो व्यवस्था की थी, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान नजर आई। यही कारण था कि कल मरीन ड्राइव डेंजर जोन में पहुंच गया था।
पुलिस प्रशासन के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ५ लाख से भी ज्यादा भीड़ मरीन ड्राइव पर जमा हो गई थी। इतनी ज्यादा भीड़ से भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती थी। भीड़ जिस तरह जोश और उत्साह में अपने सितारों की एक झलक पाने को बेताब थी, उसमें थोड़ी-सी भी चूक से भीषण हादसा हो सकता था।
‘विक्ट्री परेड’ की भीड़ में
पंगु नजर आया प्रशासन!
कल मरीन ड्राइव पर अपने विश्व विजेता क्रिकेट सितारों की एक झलक पाने के लिए मुंबईकरों की भारी भीड़ उमड़ी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जो पुलिस बल तैनात किया गया था, वह निष्प्रभावी नजर आ रहा था। ऐसे में वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का यही कहना था कि पुलिस और प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आधे-अधूरे इंतजाम किए थे और भीड़ के सामने पुलिस प्रशासन पंगु नजर आया। वडाला से क्रिकेट सितारों की झलक पाने के लिए आए अक्षय पाल ने बताया कि मरीन ड्राइव पर टी-२० वर्ल्ड कप को लेकर जिस तरह से रैली निकाली गई और स्टेडियम में लोगों को भरा गया, इससे एक बड़ी दुघर्टना हो सकती थी। इसका जिम्मेदार साफतौर पर प्रशासन होता। इसी तरह लालबाग से विजयी टीम की झलक पाने के लिए मरीन ड्राइव आए गोलू मिश्रा ने बताया कि हाथरस में मामूली सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से देखते ही देखते सवा सौ लोगों की मौत हो गई। यह घटना अभी ताजा ही है और यहां मरीन ड्राइव पर जिस तरह से भीड़ उमड़ी वह काफी हैरान करनेवाला था। पुलिस प्रशासन यहां पूरी तरह से पंगु नजर आया। थोड़ी-सी भी गलती एक बड़े हादसे में बदल सकती थी।
गुजराती बस में निकली टीम इंडिया की ‘विक्ट्री परेड’!
हाल ही में विश्वकप जीतनेवाली टीम इंडिया के जश्न में एक और गुजराती पक्षपात सामने आया है। कल शाम मुंबई की सड़कों पर विजयी टीम इंडिया की ‘विक्ट्री परेड’ गुजराती बस में निकाली गई। इसने मुंबईकरों को हैरान कर दिया। कल शाम टीम इंडिया के सम्मान में एक भव्य ‘विक्ट्री परेड’ का आयोजन किया गया था। पिछली बार २००७ में इस परेड के लिए मुंबई की प्रसिद्ध डबल डेकर बस का उपयोग किया गया था।
बड़े व भव्य कार्यक्रमों के सफल आयोजनों के लिए मशहूर मुंबई इस बार गुजराती पक्षपात का शिकार हो गई। मुंबई में महाराष्ट्र टूरिज्म की डबल डेकर बस होने के बावजूद टीम के स्वागत के लिए गुजरात में रजिस्टर्ड बस का दिखना यह दिखा रहा है कि किस तरह से मुंबई की जगह गुजरात को तवज्जो दी जा रही है। जीत का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित फैंस और मुंबईकरों ने इस घटना पर अपनी निराशा और गुस्से का इजहार किया। एक व्यक्ति ने सवाल करते हुए कहा कि ‘ऐसी गलती कैसे हो सकती है? यह शहर की प्रतिष्ठा का सवाल है।’
मुंबई के प्रसिद्ध ओपन डबल डेकर बस का इस्तेमाल खत्म हो चुका है। बेस्ट के द्वारा १५ साल पूरे करने के बाद बसों को स्क्रैप कर दिया जाता है। यही वजह है कि बेस्ट के ओपन डबल डेकर बसें स्क्रैप होने के कारण बेस्ट के पास एक भी ओपन डबल डेकर बस नहीं है। लेकिन एमटीडीसी के पास ओपन डबल डेकर बस होने के बावजूद टीम के लिए गुजरात के गांधीनगर में ४ साल पहले रजिस्टर्ड कंपनी ‘मूविंग कार्ट’ की बस में ‘विक्ट्री परेड’ की गई, जबकि एमटीडीसी के ओपन डबल डेकर बस का इस्तेमाल मीडिया के लिए किया गया।