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मनपा की नाकामी में जुड़ा एक और तमगा …टीबी मरीजों की सेवा में रोड़ा!

२४ काउंसलरों को घर बैठाने का आदेश
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा ने टीबी के पूर्ण उन्मूलन के उद्देश्य से जन जागरूकता अभियान चलाया है। इसी के तहत कुछ साल पहले टीबी मुक्त हुए २४ लोगों का चयन करते हुए उन्हें इस बीमारी के शिकार लोगों के पास जाकर काउंसलिंग करने की जिम्मेदारी दी गई थी। टीबी मरीजों के संपर्क में आने पर बीमारी दोबारा होने का खतरा होने के बावजूद इन्होंने जिम्मेदारी को स्वीकार किया। कुछ ही समय में टीबी रोग के चलते मानसिक तनाव से जूझ रहे ऐसे मरीजों के लिए सभी आधार बन गए थे। हालांकि, मनपा प्रशासन ने अचानक इन सभी २४ लोगों को घर बैठने का आदेश दे दिया है। इससे न केवल २४ लोग बेरोजगार हो गए हैं, बल्कि टीबी उन्मूलन में रोड़ा पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है। ऐसे में कहा जा रहा है कि मनपा की नाकामी में एक और तमगा लग गया है।
‘कुशल टीबी रोग साथी’ पद पर किया गया नियुक्त
यह अवधारणा सामने आई कि जो लोग टीबी से उबरने वाले यदि मरीजों को अपना अनुभव साझा करते हैं तो इसका अनुकूल प्रभाव हो सकता है। इसी के मद्देनजर कुछ साल पहले टीबी से पीड़ित २४ लोग नियमित दवा लेने से ठीक हो गए। इसके बाद उन्हें ‘कुशल टीबी रोग साथी’ के पद पर नियुक्त करते हुए सभी को बाकायदा नियुक्ति पत्र भी दिया गया। ‘सक्षम टीबी रोग साथी’ को मानधन के रूप में प्रति माह १०,६०० रुपए का भुगतान किया जाता था। २४ केंद्रों में २४ ‘सक्षम टीबी रोग साथी’ नियुक्त किए गए थे, फिर से टीबी होने की संभावना के बाद भी सभी ने जोखिम पर इस कार्य को स्वीकार किया और पिछले तीन सालों से सुबह नौ से शाम चार बजे के बीच मरीजों से मिल कर अपने कामों को ईमानदारी से निभा रहे हैं। हालांकि, मनपा ने उन्हें एक संदेश भेजकर काम पर से निकाल दिया है।
मुंबई मनपा ने टीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न गतिविधियों, योजनाओं आदि को लागू करना शुरू कर दिया है।

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