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वाह रे भाजपाई! मोदी हैं तो मुमकिन है…एलजी के बेटे की सगाई, प्रशासन ने की बिल की भरपाई

-१२० लोगों के लिए थी दो टाइम की भोजन की व्यवस्था
– १० लाख रुपए से अधिक का किया गया था भुगतान
सामना संवाददाता / जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा के बेटे के सगाई समारोह का खर्च केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा उठाए जाने पर बवाल मचा हुआ है। कहा जाता है कि मोदी है तो मुमकिन है, यह वास्तव में एलजी ने सही साबित कर दिखाया है। सगाई जैसे निजी समारोह के खर्च का बिल भी उन्होंने सरकारी खर्चे में डाल दिया। इस खर्चे का भुगतान भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कर दिया।
बताया जाता है कि यह निजी समारोह दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसके दो महीने बाद जब सिन्हा के कार्यालय ने बिल का भुगतान नहीं किया, तो नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त रेजिडेंट कमिश्नर नीरज कुमार ने राष्ट्रीय राजधानी में ७, अकबर रोड स्थित बंगले में समारोह की व्यवस्था करने में खर्च किए गए १० लाख रुपए से अधिक का भुगतान न करने के ‘मसले को सुलझाने’ के लिए राजभवन को एक पत्र भेजा था।

बॉक्स-
खबरों के अनुसार, फरवरी २०२१ में हुआ समारोह सिन्हा के बेटे की सगाई से जुड़ा हुआ था, भुगतान के लिए राजभवन पत्र भेजा गया था। इस समारोह के बाद ६ अप्रैल, २०२१ को एलजी के तत्कालीन प्रधान सचिव नीतीश्वर कुमार को लिखे एक आधिकारिक पत्र में नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के रेजिडेंट कमिश्नर ने कहा कि एलजी सिन्हा के कार्यालय के ‘निर्देश’ पर २ फरवरी, २०२१ को ७, अकबर रोड पर १२० लोगों के लिए दोपहर और रात के भोजन और सजावट की व्यवस्था की गई थी। पत्र में कहा गया है, ‘इस कार्यालय द्वारा कुल १०,७१,६०५ का भुगतान किया गया था।’

सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप
कानूनी विशेषज्ञों और राजनीतिज्ञों का तर्क है कि एलजी के कार्यालय से भुगतान के लिए दिया गया निर्देश ‘संवैधानिक अनियमितता’ और ‘सार्वजनिक धन के दुरुपयोग’ का उदाहरण है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक परमार ने मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग की है, जबकि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने एलजी से मामले पर सफाई देने को कहा है।
इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि राजभवन ने एलजी की ‘सुविधा के लिए लगातार सरकारी धन का इस्तेमाल’ किया है। उमर ने कहा, ‘चाहे उनके लिए खरीदी गई गाड़ियां हों, उनके लिए किराए पर लिए गए निजी जेट या उनके ‘मेहमानों’ के लिए खर्च किए गए करोड़ों, वे (एलजी) जम्मू-कश्मीर को अपनी जागीर समझते हैं, जो इस बात से साफ भी होता है कि वैâसे ट्रैफिक को २५-३० मिनट तक रोक दिया जाता है, ताकि महामहिम बिना किसी रुकावट के यात्रा कर सकें, वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व कानून सचिव अशरफ मीर ने आरोप लगाया है कि यह केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख द्वारा ‘सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला’ है। चूंकि जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए भारत सरकार के समेकित कोष से जो भी धन निकाला जाता है, उसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए और राज्य कल्याण या सार्वजनिक हित के कामों पर खर्च किया जाना चाहिए। कोई व्यक्तिगत काम इनमें से किसी के दायरे में नहीं आता है।

कोट-
केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख द्वारा इस तरह के खर्च की कानून के तहत अनुमति नहीं है। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके रोंगा ने जोड़ा, ‘केवल व्यवस्था को बेहतर बनाने से संबंधित कामों की ही अनुमति है, फिर भी इन मामलों पर पहले चर्चा की जाती है और इस बारे में पैâसला लिया जाता है कि कोई विशेष विभाग इस तरह के खर्च कर सकता है या नहीं। फाइनेंशियल कोड में व्यक्तिगत कामों की फंडिंग की बात नहीं है।
– नजीर अहमद, वरिष्ठ अधिवक्ता

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