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तड़का : प्रकृति बलवान

कविता श्रीवास्तव

कश्मीर की वादियों में एक बार पुन: अवतरित होकर बाबा बर्फानी जल्द ही अंतर्धान हो गए। हिमालय की ऊंचाइयों पर ठंडे ग्लेशियर के बीच गुफाओं में उभरा बाबा बर्फानी का शिवलिंग इस साल जल्द ही पिघल गया। इसी कारण पावन अमरनाथ यात्रा रोकनी पड़ी। अमरनाथ यात्रा रुकने से बर्फानी बाबा के दर्शन की हजारों तीर्थयात्रियों की इच्छाएं अधूरी रह गर्इं। वे लोग भाग्यशाली रहे, जिन्होंने पहले ६-७ दिनों में बाबा के दर्शन कर लिए। उधर भारी भूस्खलन होने से उत्तराखंड के चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ की यात्रा में भी व्यवधान पड़ा है। देवभूमि उत्तराखंड में पहाड़ धंसना और भूस्खलन होना आम बात है। हम देख रहे हैं कि प्रकृति इन दिनों जगह-जगह अपनी शक्ति का नजारा दिखा रही है। असम में भारी बारिश और बाढ़ का कहर जारी है। बिहार में पुलों के ढहने का सिलसिला भी हम सबने देखा। इस बीच तेज बारिश से झीलों-नदियों का जलस्तर बढ़ने से अनेक ठिकानों से लोगों को बचाए जाने की खबरें भी आ रही हैं। कहीं छत गिर रहा है, कहीं पेड़ गिर रहे हैं। गोवा के पाली जलप्रपात में ८० लोग फंस गए तो बड़ी कुशलता से उन सबको बचाया गया। ऐसा ही हादसा लोणावला के भुशी डैम के पास हुआ, जिसमें कुछ लोग बह गए। इन दिनों हम सोशल मीडिया पर अनेक जलप्रपातों-झरनों के पास अचानक तेज बहाव आने से कई लोगों के बह जाने की खबरें सुन रहे हैं। पश्चिम बंगाल में कई जगह बाढ़ जैसे हालात हैं। गुजरात के सूरत में इमारत गिर गई और सात लोगों की जान चली गई। झारखंड के देवघर में बिल्डिंग गिरी और तीन लोगों की मौत हो गई। उधर नेपाल में भी भारी बारिश होने से वहां से पानी छोड़ना पड़ा, जिससे बिहार में बाढ़ की स्थिति हो गई है। महाराष्ट्र में रायगढ़ किले पर पहुंचे सैलानियों की तब बुरी हालत हुई, जब ऊंची सीढ़ियों से तेज बहाव से पानी आया और हजारों लोग किसी तरह अपनी जान बचाने के लिए किनारों पर लगे। इधर मुंबई में भी रविवार को तेज बारिश की वजह से जगह-जगह जल भराव हुआ। ट्रेनों का आवागमन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। कई जगह वाहनों का आवागमन भी रुका रहा। इस तरह हम देख रहे हैं कि इन दिनों मौसम और प्रकृति ने मनुष्य को जगह-जगह अपनी शक्ति की झलक दिखाई है। आधुनिकता, विकास और अंतरिक्ष-वैज्ञानिक खोज की तमाम कोशिशों के बावजूद मनुष्य प्रकृति को समझने में पूरी तरह सक्षम नहीं है। बस, हम प्रकृति को केवल झेल सकते हैं। उसके प्रकोप से अपना बचाव करने के उपाय कर सकते हैं, क्योंकि प्रकृति की ताकत सबसे ज्यादा है और हम सब उसके अधीन है। प्रकृति के अपने सौंदर्य हैं। मौसम और वातावरण को संतुलित रखने की उसकी अपनी व्यवस्था है। हम प्रकृति को लगातार छेड़ते रहेंगे तो यह निश्चित है कि वह हमें छोड़ेगी नहीं।

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